कुण्डलिनी शक्ति के बारे में यह तो निश्चित ही है कि इस कुण्डलिनी शक्ति के द्वारा मनुष्य की चेतना स्तर ऊँचा उठाया जा सकता है, साधक अपनी प्रतिभा को इतना विकसित कर सकता है कि अपने प्राकृतिक स्वभाव से निकटतम सम्बन्ध स्थापित कर वैश्विक चेतना से एकाकार हो सकता है। तत्र के अनुसार कुण्डलिनी को कई तरह के उपायों द्वारा जाग्रत किया जा सकता है एक उपाय को छोड़कर, क्योंकि वह है जन्म से यदि किसी की कुण्डलिनी जाग्रत हो। कुण्डलिनी जागरण के उपायों का वर्णन इस प्रकार है। 1. जन्मजात कुण्डलिनी जागरण- आत्मज्ञान सम्पन्न माता पिता के घर में ऐसी सन्तान हो सकती है जिसकी कुण्डलिनी जन्म से ही जाग्रत हो। अगर शिशु का जन्म आंशिक जाग्रति के साथ हो तो उसे संत कहा जाता है। परन्तु कुण्डलिनी के पूर्ण जाग्रति होने पर उसे अवतार या भगवान के पुत्र के रुप में जाना जाता है। जिस बच्चे के जन्म से कुण्डलिनी जाग्रत होती है, उसके विचार उच्च तथा स्पष्ट दृष्टिकोण वाले होते है, यह जीवन के प्रति पूर्णरूप से अनासक्त भाव वाला होता है, उसका दृष्टिकोण असामान्य होता है। योगाभ्यास के द्वारा मानव अपने जीवन के स्तर को उच्च कर सकता ह...