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UGC NET Yoga previous papers MCQ in hindi

 UGC NET Yoga previous papers MCQ in hindi with Answers (Set-10)

नोट:- इस प्रश्नपत्र में (25) बहुसंकल्पीय प्रश्न है। प्रत्येक प्रश्न के दो (2) अंक है। सभी प्रश्न अनिवार्य  

1. निम्नलिखित में से कौन संयोजी ऊतक का उदाहरण है?
(1) हृद् पेशी (2) अरेखित पेशी (3) रक्त (4) प्लीहा

2. 'सर्केडियन क्लॉक' मस्तिष्क के किस भाग में अवस्थित है?
(1) सेरिब्रम            (2) सेरिबेलम
(3) हाइपोथैलेमस   (4). मेडुला आब्लानाटा

3. प्रज्ञापराध में सम्मिलित नहीं है?
(1) धी भ्रंश             (2) मनोवृत्ति भ्रंश
(3) धृति भ्रंश          (4) स्मृति भ्रंश

4. मेटाबोलिक सिन्ड्रोम में क्‍या नहीं होता है ?  
(1) उच्चरक्तचाप      (2) उदरगत मोटापा
(3) डिसलिपिडीमिया (4) हाइपरथाइरॉयडिज़्म

5. तनाव निम्नलिखित में से किसके माध्यम से अनैच्छिक अंगों में अतिसक्रियता लाता है?  
(1) मेरूदण्ड तंत्रिकाओं का समूह  
(2) कपाल तंत्रिकाओं का समूह
(3) सिम्पेथेटिक तंत्रिकाएं            
(4) पैरासिम्पेथेटिक तंत्रिकाएं

6. किसी छोटी योग कक्षा के लिए विद्यार्थियों के बैठने की सर्वाधिक उत्तम व्यवस्था निम्नलिखित में से कौन हो सकती है ?
(1) सीधी पंक्ति           (2) वृताकार रूप
(3) अर्द्ध-वृत्ताकार रूप  (4) द्वि-वृत्तीय रूप

7. किसी विद्यार्थी द्वारा किसी विशिष्ट योग अभ्यास को सीखना निम्नलिखित में से किस पर निर्भर करता है?
(1) प्रशिक्षक की एकाग्रता पर           (2) प्रशिक्षक की शक्ति पर  
(3) प्रशिक्षक के स्पष्ट प्रशिक्षण पर  (4) प्रशिक्षक के आत्मविश्वास पर

8. प्रेक्षाध्यान ध्यान की ऐसी पद्धति है जिसमें अभ्यास किया जाता है?
(1) विचारों के प्रत्यक्षण का  
(2) एकाग्रता के प्रत्यक्षण का
(3) वस्तुओं के प्रत्यक्षण का
(4) स्वणों के प्रत्यक्षण का

9. भावातीत ध्यान का प्रतिपादन किसने किया था ?
(1) स्वामी रामदेव    (2) महर्षि दयानन्द
(3) स्वामी शिवानंद  (4) महर्षि महेश योगी

10. शिक्षण का उद्देश्य मुख्यतः  ...........  लाना है।
(1) वातावरण में बदलाव
(2) विषय में बदलाव
(3) विद्यार्थी में बदलाव
(4) शिक्षक में बदलाव

11. मूल्य शिक्षा प्रदान करने की सर्वाधिक विश्वसनीय विधि हो सकती है :
(1) पारम्परिक गुरुकुल शिक्षण        
(2) कक्षा कक्ष शिक्षण
(3) अभ्यास आधारित योग शिक्षण  
(4) सिद्धांत आधारित योग शिक्षण

12. हॉट फ्लैश, बाधित निद्रा तथा भावात्मक परिवर्तन किसके विशिष्ट लक्षण हैं?
(1) प्रि-मेन्सट्रअल सिन्ड्रोम  
(2) मीनोपॉज़ल सिन्ड्रोम
(3) मेटाबोलिक सिन्ड्रोम      
(4) नेफ्रोटिक सिन्ड्रोम

13. क्रिया योग में सम्मिलित हैं :
(a) स्वाध्याय      (b) तप  
(c) अविद्या       (d) ईश्वर प्राणिधान
कूट के अनुसार सही संयोजन चुनें :

कूटः
(1) (c), (b) और (d) सही हैं।   (2) (b) (a) और (d) सही हैं।
(3) (a), (b) और (c) सही हैं।   (4) (b), (a) और (c) सही हैं।

14. जैन दर्शन तीन रत्नों का उपदेश देता है :
(a) सम्यक्‌ ज्ञान   (b) सम्यक्‌ चरित्र
(c) सम्यक्‌ दर्शन  (d) सम्यक्‌ वाक्‌
कूट के अनुसार सही संयोजन चुनें :

कूटः
(1) (a) (b) और (c) सही हैं।  (2) (b)  (a) और (d) सही हैं।
(3) (c), (d) और (b) सही हैं।  (4) (d) (c) और (a) सही हैं।

15. कठोपनिषद्‌ के अनुसार यमराज ने नचिकेता को क्‍या प्रलोभन दिए :
(a) शताधिक आयु के पुत्र और पौत्रादि
(b) गौ, हाथी, अश्वादि
(c) भूमण्डल का साम्राज्य
(d) आत्म ज्ञान
कूट के अनुसार सही संयोजन चुनें :

कूटः
(1) (a), (b) और (c) सही हैं।    (2) (a), (b) और (d) सही हैं।
(3) (a), (c) और (d) सही हैं।    (4) (b), (c) और (d) सही हैं।

16. इंड़ा, पिंगला और सुषुम्ना नाड़ियों को क्रमश: किस रूप में जाना जाता है?
(a) सरस्वती
(b) गंगा
(c) यमुना
(d) कावेरी
कूट के अनुसार सही संयोजन चुनें : 

 कूटः
(1) (b), (c) और (a) सही हैं।  (2) (d), (b) और (a) सही हैं।
(3) (c), (d) और (b) सही हैं।  (4) (a), (b) और (d) सही हैं।

17. भगवद्गीता के अनुसार सात्विक आहार के गुण हैं :
(a) सुख और प्रीतिवर्धक
(b) उष्ण और लवणीय
(c) आयु और बुद्धिवर्धक
(d) चिन्ता और व्याधिकारी
कूट के अनुसार सही संयोजन चुनें :

कूटः
(1) (c) और (d) सही हैं। (2) (a) और (d) सही हैं।
(3) (a) और (c) सही हैं। (4) (b) और (d) सही हैं।

18. योगसूत्र के अनुसार, अभ्यास की सिद्धि के लिए निम्नलिखित में से कौन-से आवश्यक है?
(a) भक्ति
(b) दीर्घकाल
(c) निरंतरता
(c) स्वाध्याय
कूट के अनुसार सही संयोजन चुनें :

कूटः
(1) (b) और (c) सही हैं। (2) (a) और (b) सही हैं।
(3) (b) और (d) सही हैं। (4) (c) और (d) सही हैं।

19. सहभुव: के अंतर्गत निम्नलिखित में से कौनसे सम्मिलित नहीं हैं?
(a) दौर्मनस्य
(b) श्वास
(c) स्त्यान
(d) अनवस्थितत्व
कूट के अनुसार सही संयोजन चुनें : 

कूटः
(1) (b) और (c) सही हैं। (2) (c) और (d) सही हैं।
(3) (a) और (c) सही हैं। (4) (b) और (d) सही हैं।

20. घेरण्ड संहिता के अनुसार, दन्त धौति के प्रकार हैं :  
(1) तीन  (2) चार  (3) पाँच  (4) छः

21. किस अनाज में सर्वाधिक रेशा पाया जाता है?
(1) चावल  (2) गेहूँ  (3) बाजरा  (4) रगी

22.  वात प्रकृति वाले व्यक्तियों के लिए आहार के कौनसे प्रकार लाभदायी नहीं हैं?
(a) शीत
(b) स्तिग्ध
(c) रुक्ष
(d) गुरु
कूट के अनुसार सही संयोजन चुनें :

कूटः
(1) (b) और (c) सही हैं। (2) (c) और (d) सही हैं।
(3) (a) और (c) सही हैं। (4) (b) और (d) सही हैं।

23. योग साधना में सफलता के लिए निम्नलिखित में से कौनसे उत्तरदायी हैं?
(a) प्रयास
(b) उत्साह
(c) साहस
(d) नियमाग्रह
कूट के अनुसार सही संयोजन चुनें : 

कूटः
(1) (b) और (c) सही हैं। (2) (c) और (d) सही हैं।
(3) (a) और (c) सही हैं। (4) (b) और (d) सही हैं।

24. हठ प्रदीपिका के अनुसार दस मुद्राओं में कौनसी सम्मिलित नहीं हैं?
(a) महाबन्ध
(b) महामुद्रा
(c) शाम्भवी मुद्रा
(d) अशिवनी मुद्रा
कूट के अनुसार सही संयोजन चुनें ;
कूटः
(1) (b) और (c) सही हैं। (2) (c) और (d) सही हैं।
(3) (a) और (c) सही हैं। (4) (b) और (d) सही हैं।।

25. हठ प्रदीपिका के अनुसार किसको निष्पादित कर व्यक्ति भूख, प्यास आदि से पीड़ित नहीं होता है?
(a) सीत्कारी प्राणायाम
(b) शीतली प्राणायाम
(c) विपरीतकरणी मुद्रा
(d) खेचरी मुद्रा
कूट के अनुसार सही संयोजन चुनें : 

कूटः
(1) (a) (b) और (c) सही हैं। (2) (a) (c) और (d) सही हैं।
(3) (b) (c) और (d) सही हैं।  (4) (a) (b) और (d) सही हैं।

 Answer- 1- (3), 2- (3), 3- (2), 4- (4), 5- (3), 6- (3), 7- (3), 8- (2), 9- (4), 10- (3), 11- (1), 12- (2), 13- (2), 14- (1), 15- (1), 16- (1), 17- (3), 18- (1), 19- (2), 20- (3), 21- (4), 22- (3), 23- (1), 24- (2), 25- (4)


To be continuous......  

 Yoga MCQ

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हठयोग का अर्थ , परिभाषा, उद्देश्य

  हठयोग का अर्थ भारतीय चिन्तन में योग मोक्ष प्राप्ति का एक महत्वपूर्ण साधन रहा है, योग की विविध परम्पराओं (ज्ञानयोग, कर्मयोग, भक्तियोग, हठयोग) इत्यादि का अन्तिम लक्ष्य भी मोक्ष (समाधि) की प्राप्ति ही है। हठयोग के साधनों के माध्यम से वर्तमान में व्यक्ति स्वास्थ्य लाभ तो करता ही है पर इसके आध्यात्मिक लाभ भी निश्चित रूप से व्यक्ति को मिलते है।  हठयोग- नाम से यह प्रतीत होता है कि यह क्रिया हठ- पूर्वक की जाने वाली है। परन्तु ऐसा नही है अगर हठयोग की क्रिया एक उचित मार्गदर्शन में की जाये तो साधक सहजतापूर्वक इसे कर सकता है। इसके विपरित अगर व्यक्ति बिना मार्गदर्शन के करता है तो इस साधना के विपरित परिणाम भी दिखते है। वास्तव में यह सच है कि हठयोग की क्रियाये कठिन कही जा सकती है जिसके लिए निरन्तरता और दृठता आवश्यक है प्रारम्भ में साधक हठयोग की क्रिया के अभ्यास को देखकर जल्दी करने को तैयार नहीं होता इसलिए एक सहनशील, परिश्रमी और तपस्वी व्यक्ति ही इस साधना को कर सकता है।  संस्कृत शब्दार्थ कौस्तुभ में हठयोग शब्द को दो अक्षरों में विभाजित किया है।  1. ह -अर्थात हकार  2. ठ -अर्थात ठकार हकार - का अर्थ

कठोपनिषद

कठोपनिषद (Kathopanishad) - यह उपनिषद कृष्ण यजुर्वेद की कठ शाखा के अन्तर्गत आता है। इसमें दो अध्याय हैं जिनमें 3-3 वल्लियाँ हैं। पद्यात्मक भाषा शैली में है। मुख्य विषय- योग की परिभाषा, नचिकेता - यम के बीच संवाद, आत्मा की प्रकृति, आत्मा का बोध, कठोपनिषद में योग की परिभाषा :- प्राण, मन व इन्दियों का एक हो जाना, एकाग्रावस्था को प्राप्त कर लेना, बाह्य विषयों से विमुख होकर इन्द्रियों का मन में और मन का आत्मा मे लग जाना, प्राण का निश्चल हो जाना योग है। इन्द्रियों की स्थिर धारणा अवस्था ही योग है। इन्द्रियों की चंचलता को समाप्त कर उन्हें स्थिर करना ही योग है। कठोपनिषद में कहा गया है। “स्थिराम इन्द्रिय धारणाम्‌” .  नचिकेता-यम के बीच संवाद (कहानी) - नचिकेता पुत्र वाजश्रवा एक बार वाजश्रवा किसी को गाय दान दे रहे थे, वो गाय बिना दूध वाली थी, तब नचिकेता ( वाजश्रवा के पुत्र ) ने टोका कि दान में तो अपनी प्रिय वस्तु देते हैं आप ये बिना दूध देने वाली गाय क्यो दान में दे रहे है। वाद विवाद में नचिकेता ने कहा आप मुझे किसे दान में देगे, तब पिता वाजश्रवा को गुस्सा आया और उसने नचिकेता को कहा कि तुम मेरे

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हठयोग प्रदीपिका में प्राणायाम को कुम्भक कहा है, स्वामी स्वात्माराम जी ने प्राणायामों का वर्णन करते हुए कहा है - सूर्यभेदनमुज्जायी सीत्कारी शीतल्री तथा।  भस्त्रिका भ्रामरी मूर्च्छा प्लाविनीत्यष्टकुंम्भका:।। (हठयोगप्रदीपिका- 2/44) अर्थात् - सूर्यभेदन, उज्जायी, सीत्कारी, शीतली, भस्त्रिका, भ्रामरी, मूर्छा और प्लाविनी में आठ प्रकार के कुम्भक (प्राणायाम) है। इनका वर्णन ऩिम्न प्रकार है 1. सूर्यभेदी प्राणायाम - हठयोग प्रदीपिका में सूर्यभेदन या सूर्यभेदी प्राणायाम का वर्णन इस प्रकार किया गया है - आसने सुखदे योगी बदध्वा चैवासनं ततः।  दक्षनाड्या समाकृष्य बहिस्थं पवन शनै:।।  आकेशादानखाग्राच्च निरोधावधि क्रुंभयेत। ततः शनैः सव्य नाड्या रेचयेत् पवन शनै:।। (ह.प्र. 2/48/49) अर्थात- पवित्र और समतल स्थान में उपयुक्त आसन बिछाकर उसके ऊपर पद्मासन, स्वस्तिकासन आदि किसी आसन में सुखपूर्वक मेरुदण्ड, गर्दन और सिर को सीधा रखते हुए बैठेै। फिर दाहिने नासारन्ध्र अर्थात पिंगला नाडी से शनैः शनैः पूरक करें। आभ्यन्तर कुम्भक करें। कुम्भक के समय मूलबन्ध व जालन्धरबन्ध लगा कर रखें।  यथा शक्ति कुम्भक के पश्चात जालन्धरबन्ध ख

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