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UGC NET Yoga Previous year Question Paper PDF in Hindi

 UGC NET Yoga Previous year Question Paper in Hindi (Set-6)

नोट:- इस प्रश्नपत्र में (25) बहुसंकल्पीय प्रश्न है। प्रत्येक प्रश्न के दो (2) अंक है। सभी प्रश्न अनिवार्य  

1. सर्वाइकल स्पॉडिलोसिस में कौन-से आसन नहीं करने चाहिये ?
(a) मकरासन   (b) भुजंगासन
(c) शशांकासन (d) पादहस्तासन
कूट के अनुसार सही संयोजन चुनें :
कूट :
(1) (a) और (c) सही हैं।    (2) (c) और (d) सही हैं।
(3) (a) और (b) सही हैं।    (4) (b) और (c) सही हैं।

2. निम्न में से कौन तनाव जनित रोग हैं ?
(a) सिर-दर्द  (b) उच्च रक्तचाप
(c) मधुमेह   (d) आँटिस्म
कूट के अनुसार सही संयोजन चुनें :
कूट :
(1) (a), (b) और (c) सही हैं।    
(2) (a), (b) और (c) सही हैं।
(3) (b), (c) और (d) सही हैं।    
(4) (a) और (d) सही हैं।

3. धनुरासन निम्न में से किन में निषिद्ध है ?
(a) उच्च रक्तचाप    (b) विबन्ध
(c) पेट का मोटापा    (d) हर्निया
कूट के अनुसार सही संयोजन चुनें :  
कूट :
(1) (b) और (c) सही हैं।    
(2) (a) और (d) सही हैं।
(3) (c) और (d) सही हैं।    
(4) (a) और (b) सही हैं।

4. यौगिक अभ्यास में :
(a) मंद और सतत व्यायाम सम्मिलित हैं।
(b) थकावट होती है।
(c) मन की शांति मिलती है।
(d) कठोर व्यायाम सम्मिलित हैं।
कूट के अनुसार सही संयोजन चुनें :
कूट :
(1) (b) और (c) सही हैं।    
(2) (a) और (d) सही हैं।
(3) (c) और (d) सही हैं।    
(4) (a) और (b) सही हैं।

5. नीचे दिये गये दो कथनों में से एक को अभिकथन (A) और दूसरे को तर्क (R) की संज्ञा दी गई है। नीचे दिये गये विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए :
अभिकथन (A) : क्रिया योग से क्लेश की निवृत्ति होती है जिससे समाधि प्राप्त होती है।
तर्क (R) : तप, स्वाध्याय और ईश्वर प्रणिधान समाधि प्राप्ति हेतु क्रिया-योग के शक्तिशाली साधन हैं।
उपरोक्त दो कथनों के संदर्भ में निम्मलिखित में से कौन सा सही है ?
(1) (A) और (R) दोनों सही हैं तथा (R), (A) की सही व्याख्या है।
(2) (A) और (R) दोनों सही हैं, लेकिन (R), (A) की सही व्याख्या नहीं है।
(3) (A) सही है, लेकिन (R) गलत है।
(4) (A) गलत है, लेकिन (R) सही है। 

6. नीचे दिये गये दो कथनों में से एक को अभिकथन (A) और दूसरे को तर्क (R) की संज्ञा दी गई है। नीचे दिये गये विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए :
अभिकथन (A) : बंध योग के शक्तिशाली साधन हैं।
तर्क (R) : प्राणायाम के अभ्यास के साथ बंध का उपयोग आनन्द की प्राप्ति के लिये किया जाता है। 

उपरोक्त दो कथनों के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन सा सही है?
(1) (A) और (R) दोनों सही हैं तथा (R), (A) की सही व्याख्या है।
(2) (A) और (R) दोनों सही हैं, लेकिन (R), (A) की सही व्याख्या नहीं है।
(3) (A) सही है, लेकिन (R) गलत है।
(4) (A) गलत है, लेकिन (R) सही है।

7. नीचे दिये गये दो कथनों में से एक को अभिकथन (A) और दूसरे को तर्क (R) की संज्ञा दी गई है। नीचे दिये गये विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए
अभिकथन (A) : खनिज, सूक्ष्म पोषकतत्त्व हैं।
तर्क (R): खनिज पोषाहार के लिये आवश्यक हैं, यद्धपि उनकी आवश्यकता कम मात्रा में होती है। 

उपरोक्त दो कथनों के संदर्भ में निम्मलिखित में से कौन सा सही है?
(1) (A) और (R) दोनों सही हैं तथा (R), (A) की सही व्याख्या नहीं है।
(2) (A) और (R) दोनों सही हैं, लेकिन (R), (A) की सही व्याख्या है।
(3) (A) सही है, लेकिन (R) गलत है।
(4) (A) गलत है, लेकिन (R) सही है।

8. नीचे दिये गये दो कथनों में से एक को अभिकथन (A) और दूसरे को तर्क (R) की संज्ञा दी गई है। नीचे दिये गये विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए
अभिकथन (A) : अन्तराय, योग साधना में बाधक हैं।
तर्क (R): दुःख, दौर्मनस्य, अंगमेजयत्व, श्वास और प्रश्वास चित्त को भटकाते हैं। 

उपरोक्त दो कथनों के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन सा सही है?
(1) (A) और (R) दोनों सही हैं तथा (R), (A) की सही व्याख्या है।
(2) (A) और (R) दोनों सही हैं, लेकिन (R), (A) की सही व्याख्या नहीं है।
(3) (A) सही है, लेकिन (R) गलत है।
(4) (A) गलत है, लेकिन (R) सही है।

9. तैतिरीयोपनिषद्‌ में उल्लिखित उनके उद्भव के अनुसार निम्नलिखित को उचित क्रम में व्यवस्थित करें  
(a) पुरुष   (b) अन्न
(c) पृथ्वी  (d) औषधि
सही उत्तर के लिए निम्नलिखित कूट का उपयोग करें :
कूट:
(1) (a), (b), (d), (c)     
(2) (c), (d), (b), (a)
(3) (c), (a), (b), (d)    
(4) (b), (a), (c), (d)

10. योग वशिष्ठ के अनुसार, ज्ञान की निम्नलिखित अवस्थाओं को उचित क्रम में व्यवस्थित करें :
(a) सत्वापत्ति  (b) विचारणा
((c) शुभेच्छा     (d) तनुमानसा
सही उत्तर के लिए निम्नलिखित कूट का उपयोग करें :
कूट:
(1) (b), (a), (d), (c)     
(2) (c), (b), (d), (a)
(3) (b), (c), (d), (a)    
(4) (a), (d), (b), (c)

11. सम्प्रज्ञात समाधि के निम्नलिखित प्रकारों को उचित क्रम में व्यवस्थित करें :
(a) विचारानुगत   (b) अस्मितानुगत
(c) वितर्कानुगत   (d) आनंदानुगत
सही उत्तर के लिए निम्नलिखित कूट का उपयोग करें :
कूट:
(1) (a), (c), (d), (b)     
(2) (a), (c), (b), (d)
(3) (c), (a), (b), (d)    
(4) (c), (a), (d), (b)

12. नादानुसंधान की निम्नलिखित अवस्थाओं को उचित क्रम में व्यवस्थित करें :
(a) आरम्भावस्था       (b) परिचयावस्था
(c) निष्पत्ति अवस्था  (d) घटावस्था
सही उत्तर के लिए निम्नलिखित कूट का उपयोग करें :
कूट:
(1) (a), (b), (c), (d)     
(2) (a), (b), (d), (c)
(3) (a), (d), (b), (c)    
(4) (b), (a), (d), (c)     

13. घेरण्ड संहिता के अनुसार, निम्नलिखित अभ्यासों को उचित क्रम में व्यवस्थित करें :
(a) मुद्रा  (b) आसन  (c) प्रत्याहार  (d) प्राणायाम
सही उत्तर के लिए निम्नलिखित कूट का उपयोग करें :  
कूट :
(1) (b), (a), (c), (d)     
(2) (a), (b), (c), (c)
(3) (a), (b), (c), (d)    
(4) (b), (a), (d), (d)

14. निम्नलिखित ऋतुओं को, शिशिर से प्रारम्भ करते हुए, उचित क्रम में व्यवस्थित करें :
(a) ग्रीष्म     (b) शिशिर
(c) वर्षा        (d) वसंत
(e) शरद्‌
सही उत्तर के लिए निम्नलिखित कूट का उपयोग करें :
कूट :
(1) (b), (a), (c), (d), (e)     
(2) (e), (a), (c), (d), (b)
(3) (b), (c), (d), (a), (e)    
(4) (b), (d), (a), (c), (e)

15. सूची - i को सूची - ii के साथ सुमेलित करें और नीचे दिये गये कूट का प्रयोग करते हुए सही उत्तर चुनें :
         सूची - i                        सूची - ii
(a) हठ प्रदीपिका               (i) स्वामी दयानन्द
(b) सत्यार्थ प्रकाश            (ii) श्रीनिवास
(c) हठ रत्नावली              (iii) गोरक्षनाथ
(d) सिद्ध सिद्धान्त पद्धति  (iv) स्वात्माराम
कूट:
      (a), (b), (c), (d)
(1) (i), (iv), (ii), (iii)
(2) (ii), (iv), (i), (iii)
(3) (iv), (i), (ii), (iii)    
(4) (iv), (i), (iii), (ii)

16. सूची - i को सूची - ii के साथ सुमेलित करें और नीचे दिये गये कूट का प्रयोग करते हुए सही उत्तर चुनें :
           सूची - i                   सूची - ii
(a) स्वामी विवेकानन्द   (i) भावातीत ध्यान
(b) श्री अरविन्द             (ii) विपस्सना
(c) महर्षि महेश योगी    (iii) नव्य वेदान्त
(d) भगवान बुद्ध             (iv) समग्र योग
कूट :
      (a), (b), (c), (d)
(1) (i), (ii), (ii), (iv)
(2) (ii),(iii),(iv), (i)
(3) (iii),(iv),(i), (ii)    
(4) (iv),(iii),(ii), (i) 

17. सूची - i को सूची - ii के साथ सुमेलित करें और नीचे दिये गये कूट का प्रयोग करते हुए सही विकल्प चुनें :  
       सूची - i                        सूची - ii
(a) वासना हेतु               (i) जन्म, आयु, भोग
(b) वासना फल              (ii) क्लेश, कर्म
(c) वासना आश्रय          (iii) विषय
(d) वासना आलम्बन     (iv) चित्त
कूट :
      (a), (b), (c), (d)
(1) (ii), (i), (iv), (iii)
(2) (i),  (ii), (iii), (iv)
(3) (iii), (i), (iv), (ii)    
(4) (iv), (iii), (ii), (i)

18. सूची - i को सूची - ii के साथ सुमेलित करें और नीचे दिये गये कूट का प्रयोग करते हुए सही उत्तर चुनें
        सूची - i            सूची - ii
(a) वारिसार धौति  (i) हृद धौति
(b) वस्त्र धौति       (ii) जठराग्नि
(c) नौलि               (iii) बड़ी आंत
(d) बस्ति क्रिया     (iv) अन्तर्धौति
कूट:
      (a), (b), (c), (d)
(1) (i), (iv), (ii), (iii)
(2) (ii), (iv), (i), (iii)
(3) (iv), (ii), (iii), (i)    
(4) (iv), (i), (ii), (iii)

19. सूची - i को सूची - ii के साथ सुमेलित करें और नीचे दिये गये कूट का प्रयोग करते हुए सही विकल्प चुनें :
    सूची - i                       सूची - ii
   ( चक्र )                       ( स्थान )
(a) स्वाधिष्ठान        (i) हृदय प्रदेश
(b) मणिपूर              (ii) कपण्ठ प्रदेश
(c) विशुद्ध                 (iii) भ्रू-मध्य
(d) अनाहत               (iv) नाभि प्रदेश  
(e) आज्ञा                   (v) जननांगों का मूल प्रदेश
कूट:
     (a), (b), (c),  (d),  (e)
(1) (v), (iv), (i), (ii), (iii)
(2) (v), (i), (ii), (iv), (iii)
(3) (i), (ii), (iii), (iv), (v)    
(4) (v), (iv), (ii), (i), (iii)

20. सूची i को सूची ii के साथ सुमेलित करें और नीचे दिये गये कूट का प्रयोग करते हुए सही विकल्प चुनें :
       सूची - i               सूची - ii
(a) मधुर रस       (i) वात को घटा है
(b) अम्ल रस      (ii) पित्त और कफ़ को घटाता है
(c) कट रस         (iii) वात और पित्त को घटाता है
(d) कषाय रस     (iv) कफ को घटाता है
कूट :
     (a), (b), (c), (d)
(1) (iii), (ii), (i), (iv)
(2) (iii), (i), (iv), (ii)
(3) (i), (iii), (ii), (iv)    
(4) (i), (iv), (iii), (ii) 

21. सूची -i को सूची - ii के साथ सुमेलित करें और नीचे दिये गये कूट का प्रयोग करते हुए सही उत्तर चुनें :
          सूची - i                       सूची - ii
(a) पवन मुक्तासन        (i) पेट के बल लेटकर
(b) पशि्चिमोत्तानासन (ii) बैठकर
(c) भुजंगासन               (iii) खड़ा होकर
(d) कटिचक्रासन           (iv) पीठ के बल लेटकर
कूट:
      (a), (b), (c), (d)
(1) (i), (ii), (iv), (iii)
(2) (ii), (iv), (i), (iii)
(3) (iv), (ii), (i), (iii)    
(4) (iv), (i), (iii), (ii)

22. गोमुखासन निम्न में से मुख्यत : किनमें लाभप्रद प्रद होता है?
(a) नेत्र - दोष  (b) फेफडो के रोग
(c) त्वचा रोग  (d) पीठ दर्द
कूट के अनुसार सही संयोजन चुनें :
कूट :
(1) (a) और (b) सही हैं।    (2) (a) और (c) सही हैं।
(3) (b) और (d) सही हैं।    (4) (a) और (d) सही हैं। 

23. “योग: कर्मसु कौशलम्‌'' का सही अर्थ है :
(1) चतुराई युक्त कर्म   (2) निष्काम कर्म
(3) कौशल पूर्ण कर्म      (4) परिपूर्ण कर्म

24. भारत के प्रधान मंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने किस स्थान पर तीसरे अन्‍तरराष्ट्रीय योग दिवस-2017 में भाग लिया?
(1) लखनऊ    (2) अहमदाबाद
(3) चण्डीगढ़   (4) नई दिल्‍ली

25. चित्त का स्वरूप है :
(1) जड़               (2) चेतन
(3) स्वप्रकाशक   (4) द्रष्टा

Answer- 1- (2), 2- (1), 3- (2), 4- (1), 5- (1), 6- (2), 7- (2), 8- (2), 9- (2), 10- (2), 11- (4), 12- (3), 13- (1), 14- (4), 15- (3), 16- (3), 17- (1), 18- (4), 19- (4), 20- (2), 21- (3), 22- (3), 23- (2), 24- (1), 25- (1)

To be continuous......  

UGC NET Yoga multiple choice Questions -Answer For practice (Set- 1)

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हठयोग का अर्थ , परिभाषा, उद्देश्य

  हठयोग का अर्थ भारतीय चिन्तन में योग मोक्ष प्राप्ति का एक महत्वपूर्ण साधन रहा है, योग की विविध परम्पराओं (ज्ञानयोग, कर्मयोग, भक्तियोग, हठयोग) इत्यादि का अन्तिम लक्ष्य भी मोक्ष (समाधि) की प्राप्ति ही है। हठयोग के साधनों के माध्यम से वर्तमान में व्यक्ति स्वास्थ्य लाभ तो करता ही है पर इसके आध्यात्मिक लाभ भी निश्चित रूप से व्यक्ति को मिलते है।  हठयोग- नाम से यह प्रतीत होता है कि यह क्रिया हठ- पूर्वक की जाने वाली है। परन्तु ऐसा नही है अगर हठयोग की क्रिया एक उचित मार्गदर्शन में की जाये तो साधक सहजतापूर्वक इसे कर सकता है। इसके विपरित अगर व्यक्ति बिना मार्गदर्शन के करता है तो इस साधना के विपरित परिणाम भी दिखते है। वास्तव में यह सच है कि हठयोग की क्रियाये कठिन कही जा सकती है जिसके लिए निरन्तरता और दृठता आवश्यक है प्रारम्भ में साधक हठयोग की क्रिया के अभ्यास को देखकर जल्दी करने को तैयार नहीं होता इसलिए एक सहनशील, परिश्रमी और तपस्वी व्यक्ति ही इस साधना को कर सकता है।  संस्कृत शब्दार्थ कौस्तुभ में हठयोग शब्द को दो अक्षरों में विभाजित किया है।  1. ह -अर्थात हकार  2. ठ -अर्थात ठकार हकार - का अर्थ

कठोपनिषद

कठोपनिषद (Kathopanishad) - यह उपनिषद कृष्ण यजुर्वेद की कठ शाखा के अन्तर्गत आता है। इसमें दो अध्याय हैं जिनमें 3-3 वल्लियाँ हैं। पद्यात्मक भाषा शैली में है। मुख्य विषय- योग की परिभाषा, नचिकेता - यम के बीच संवाद, आत्मा की प्रकृति, आत्मा का बोध, कठोपनिषद में योग की परिभाषा :- प्राण, मन व इन्दियों का एक हो जाना, एकाग्रावस्था को प्राप्त कर लेना, बाह्य विषयों से विमुख होकर इन्द्रियों का मन में और मन का आत्मा मे लग जाना, प्राण का निश्चल हो जाना योग है। इन्द्रियों की स्थिर धारणा अवस्था ही योग है। इन्द्रियों की चंचलता को समाप्त कर उन्हें स्थिर करना ही योग है। कठोपनिषद में कहा गया है। “स्थिराम इन्द्रिय धारणाम्‌” .  नचिकेता-यम के बीच संवाद (कहानी) - नचिकेता पुत्र वाजश्रवा एक बार वाजश्रवा किसी को गाय दान दे रहे थे, वो गाय बिना दूध वाली थी, तब नचिकेता ( वाजश्रवा के पुत्र ) ने टोका कि दान में तो अपनी प्रिय वस्तु देते हैं आप ये बिना दूध देने वाली गाय क्यो दान में दे रहे है। वाद विवाद में नचिकेता ने कहा आप मुझे किसे दान में देगे, तब पिता वाजश्रवा को गुस्सा आया और उसने नचिकेता को कहा कि तुम मेरे

हठयोग प्रदीपिका में वर्णित प्राणायाम

हठयोग प्रदीपिका में प्राणायाम को कुम्भक कहा है, स्वामी स्वात्माराम जी ने प्राणायामों का वर्णन करते हुए कहा है - सूर्यभेदनमुज्जायी सीत्कारी शीतल्री तथा।  भस्त्रिका भ्रामरी मूर्च्छा प्लाविनीत्यष्टकुंम्भका:।। (हठयोगप्रदीपिका- 2/44) अर्थात् - सूर्यभेदन, उज्जायी, सीत्कारी, शीतली, भस्त्रिका, भ्रामरी, मूर्छा और प्लाविनी में आठ प्रकार के कुम्भक (प्राणायाम) है। इनका वर्णन ऩिम्न प्रकार है 1. सूर्यभेदी प्राणायाम - हठयोग प्रदीपिका में सूर्यभेदन या सूर्यभेदी प्राणायाम का वर्णन इस प्रकार किया गया है - आसने सुखदे योगी बदध्वा चैवासनं ततः।  दक्षनाड्या समाकृष्य बहिस्थं पवन शनै:।।  आकेशादानखाग्राच्च निरोधावधि क्रुंभयेत। ततः शनैः सव्य नाड्या रेचयेत् पवन शनै:।। (ह.प्र. 2/48/49) अर्थात- पवित्र और समतल स्थान में उपयुक्त आसन बिछाकर उसके ऊपर पद्मासन, स्वस्तिकासन आदि किसी आसन में सुखपूर्वक मेरुदण्ड, गर्दन और सिर को सीधा रखते हुए बैठेै। फिर दाहिने नासारन्ध्र अर्थात पिंगला नाडी से शनैः शनैः पूरक करें। आभ्यन्तर कुम्भक करें। कुम्भक के समय मूलबन्ध व जालन्धरबन्ध लगा कर रखें।  यथा शक्ति कुम्भक के पश्चात जालन्धरबन्ध ख

बंध एवं मुद्रा का अर्थ , परिभाषा, उद्देश्य

  मुद्रा का अर्थ एवं परिभाषा  'मोदन्ते हृष्यन्ति यया सा मुद्रा यन्त्रिता सुवर्णादि धातुमया वा'   अर्थात्‌ जिसके द्वारा सभी व्यक्ति प्रसन्‍न होते हैं वह मुद्रा है जैसे सुवर्णादि बहुमूल्य धातुएं प्राप्त करके व्यक्ति प्रसन्‍नता का अनुभव अवश्य करता है।  'मुद हर्ष' धातु में “रक्‌ प्रत्यय लगाकर मुद्रा शब्दं॑ की निष्पत्ति होती है जिसका अर्थ प्रसन्‍नता देने वाली स्थिति है। धन या रुपये के अर्थ में “मुद्रा' शब्द का प्रयोग भी इसी आशय से किया गया है। कोष में मुद्रा' शब्द के अनेक अर्थ मिलते हैं। जैसे मोहर, छाप, अंगूठी, चिन्ह, पदक, रुपया, रहस्य, अंगों की विशिष्ट स्थिति (हाथ या मुख की मुद्रा)] नृत्य की मुद्रा (स्थिति) आदि।  यौगिक सन्दर्भ में मुद्रा शब्द को 'रहस्य' तथा “अंगों की विशिष्ट स्थिति' के अर्थ में लिया जा सकता है। कुण्डलिनी शक्ति को जागृत करने के लिए जिस विधि का प्रयोग किया जाता है, वह रहस्यमयी ही है। व गोपनीय होने के कारण सार्वजनिक नहीं की जाने वाली विधि है। अतः रहस्य अर्थ उचित है। आसन व प्राणायाम के साथ बंधों का प्रयोग करके विशिष्ट स्थिति में बैठकर 'म