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Yoga MCQ Questions Answers in Hindi

 Yoga multiple choice questions in Hindi for UGC NET JRF Yoga, QCI Yoga, YCB Exam

नोट:- इस प्रश्नपत्र में (25) बहुसंकल्पीय प्रश्न है। प्रत्येक प्रश्न के दो (2) अंक है। सभी प्रश्न अनिवार्य  

1. किस उपनिषद्‌ में ओंकार के चार चरणों का उल्लेख किया गया है?
(1) प्रश्नोपनिषद्‌         (2) मुण्डकोपनिषद्‌
(3) माण्डूक्योपनिषद्‌  (4) कठोपनिषद्‌

2 योग वासिष्ठ में निम्नलिखित में से किस पर बल दिया गया है?
(1) ज्ञान योग  (2) मंत्र योग  (3) राजयोग  (4) भक्ति योग

3. पुरुष और प्रकृति निम्नलिखित में से किस दर्शन की दो मुख्य अवधारणाएं हैं ?
(1) वेदांत           (2) सांख्य
(3) पूर्व मीमांसा (4) वैशेषिक

4. निम्नांकित में से कौन-सी नाड़ी दस मुख्य नाडियों में शामिल नहीं है?
(1) अलम्बुषा  (2) कुहू  (3) कूर्म  (4) शंखिनी

5. योगवासिष्ठानुसार निम्नलिखित में से क्या ज्ञानभूमिका के अन्तर्गत नहीं आता है?
(1) शुभेच्छा (2) विचारणा (3) सद्भावना (4) तनुमानसा

6. प्रश्नोपनिषद्‌ के अनुसार, मनुष्य को विभिन्न लोकों में ले जाने का कार्य कौन करता है?
(1) प्राण वायु (2) उदान वायु (3) व्यान वायु (4) समान वायु

7. श्रीमद्‌ भगवद्गीता के अनुसार किस कारण से योग सिद्ध नहीं होता है ?
(1) उपयुक्त आहार एवं विहार  (2) उपयुक्त कर्म  
(3) उपयुक्त शयन व जागरण  (4) युक्तिपूर्वक कर्म

8. ईशावास्योपनिषद्‌ के अनुसार, अमरता की प्राप्ति का उपाय क्या है?
(1) विद्या  (2) अविद्या  (3) दान  (4) तप

 9. धारणासु च योग्यता मनस: ' किसका परिणाम है?
(1) ध्यान (2) प्रत्याहार (3) प्राणायाम (4) संयम

10.  "दृष्टनुश्रविकविषयवितृष्णा" किसका विशेष गुण है?
(1) वशीकार वैराग्य  (2) पर वैराग्य
(3) ऋतम्भरा प्रज्ञा   (4) स्थितप्रज्ञ

11. पतंजलि के अनुसार, "हेयहेतु" निम्नलिखित में से किनका संयोग है?
(1) दृष्ट और दृश्य            (2) मन और इन्द्रिय  
(3) आत्मा और परमात्मा (4) मन और बुद्धि

12. निम्नलिखित में से कौन-सा परिणामत्रय में शामिल नहीं है?
(1) एकाग्रता परिणाम (2) निरोध परिणाम
(3) समाधि परिणाम   (4) धारणा परिणाम

13. निम्नलिखित में से कौन-सा पूर्व जीवन का ज्ञान देने में समर्थ है?
(1) काूर्म नाड़ी संयम  (2) सूर्य संयम  
(3) संस्कार संयम      (4) कायरूप संयम

14. “अस्मिता” का अभिप्राय  ____ की एकात्मकता है।
(1) मन और आत्मा    (2) दृक्‌ और दर्शनशक्ति
(3) शरीर और इन्द्रिय (4) सुख और दुःख

15. योगसूत्र के अनुसार, श्रवण की दैवीय शक्ति प्राप्त करने की विधि निम्नलिखित में से कौन-सी है?
(1) श्रोत्र-आकाश संबंध पर संयम
(2) श्रेत्र-अग्नि संबंध पर संयम
(3) श्रोत्र-पृथ्वी संबंध पर संयम
(4) श्रोत्र-वायु संबंध पर संयम

16. हठ प्रदीपषिका के अनुसार नादानुसंधान अभ्यास के प्रारम्भ में किस प्रकार की ध्वनि सुनाई पड़ती है?
(1) मेघ की ध्वनि   (2) शंख की ध्वनि
(3) घंटे की ध्वनि   (4) भ्रमर की ध्वनि

 17. स्वात्माराम के अनुसार यम में कौनसा सर्वश्रेष्ठ है ?
(1) मिताहार  (2) सत्य  (3) अस्तेय  (4) ब्रह्मचर्य  

18. स्वात्माराम के अनुसार योगसाधना में मन किसके साथ निकटस्थ रूप में संबद्ध रहता है?
(1) इन्द्रिय  (2) प्राण  (3) शरीर  (4) बुद्धि

19. सूची- i को सूची- ii के साथ सुमेलित करें और नीचे दिये गये कूट का प्रयोग करते हुए सही विकल्प चुनें :

   सूची- i            सूची- ii
(a) मैत्री          (i) पाप कर्मी
(b) करुणा     (ii) सुखी
(c) उपेक्षा       (iii) पुण्य कर्मी
(d) मुदिता       (iv) दुःखी
कूट:
       (a)   (b)    (c)    (d)
(1)  (iv)   (ii)    (i)   (iii)
(2)  (ii)    (iv)   (i)   (iii)
(3)  (ii)    (iv)  (iii)   (i)
(4) (iv)    (ii)   (iii)   (i)

20. सूची- i को सूची- ii के साथ सुमेलित करें और नीचे दिये गये कूट का प्रयोग करते हुए सही विकल्प चुनें :

      सूची- i               सूची- ii
(a) ध्यान योग     (i) मनोमूर्च्छा मुद्रा
(b) नाद योग       (ii) कुंभक
(c) भक्ति योग    (iii) शाम्भवी मुद्रा
(d) राज योग       (iv) खेचरी मुद्रा
कूट:
       (a)   (b)    (c)    (d)
(1)  (i)   (iii)    (iv)   (ii)
(2) (iii)   (iv)    (i)    (ii)
(3) (iv)    (i)    (iii)   (ii)
(4) (ii)    (i)    (iv)   (iii)

21. सूची- i को सूची- ii के साथ सुमेलित करें और नीचे दिये गये कूट का प्रयोग करते हुए सही विकल्प चुनें :

      सूची- i                 सूची- ii        
(a) अग्नाशय           (i) वेसोप्रेसिन
(b) अवटु ग्रंथि        (ii) कॉर्टिकायड्स
(c) पीयूष ग्रंथि        (iii) थाइरोक्सिन
(d) अधिवृक्क ग्रंथि  (iv) इन्सुलिन
कूट:
       (a)   (b)    (c)    (d)
(1)  (iv)   (iii)   (ii)    (i)
(2)   (i)   (ii)    (iii)   (iv)
(3) (iv)    (i)    (ii)   (iii)
(4) (iv)   (iii)   (i)    (ii)

22. किस ग्रंथ में आर्त, जिज्ञासु, अर्थार्थी और ज्ञानी के रूप में व्यक्तियों के चार प्रकारों का उल्लेख किया गया है ?
(1) रामायण       (2) ब्रह्मसूत्र
(3) कठोपनिषद्  (4) भगवद्गीता

23. ट्राइकुस्पिड वाल्व किसके बीच पाया जाता है?
(1) बायें अलिन्द एवं बायें निलय
(2) दायें अलिन्द एवं दायें निलय
(3) दायें अलिन्द एवं फुफ्फुस धमनी
(4) बायें अलिन्द एवं फुफ्फुस धमनी

24. प्रोजेस्टेरान हार्मोन किस ग्रन्थि से स्नवित होता है ?
(1) अण्डाशय से  (2) एड्रीनल ग्रन्थि से
(3) गुर्दों से          (4) पैराथाइरायड ग्रन्थि से

25. टी-3 हार्मोन किस अन्तः स्रावी ग्रन्थि से स्रवित होता है?
(1) पिट्यूटरी (2) पीनियल (3) थाइरायड (4) थाइमस

Answer- 1- (3), 2- (1), 3- (2), 4- (3), 5- (3), 6- (2), 7- (4), 8- (1), 9- (3), 10- (1), 11- (1), 12- (4), 13- (3), 14- (2), 15- (1), 16- (1), 17- (1), 18- (2), 19- (2), 20- (2), 21- (4), 22- (4), 23- (2), 24- (1), 25- (3)


To be continuous...... 

UGC NET Yoga multiple choice Questions -Answer For practice (Set- 1)

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हठयोग प्रदीपिका में प्राणायाम को कुम्भक कहा है, स्वामी स्वात्माराम जी ने प्राणायामों का वर्णन करते हुए कहा है - सूर्यभेदनमुज्जायी सीत्कारी शीतल्री तथा।  भस्त्रिका भ्रामरी मूर्च्छा प्लाविनीत्यष्टकुंम्भका:।। (हठयोगप्रदीपिका- 2/44) अर्थात् - सूर्यभेदन, उज्जायी, सीत्कारी, शीतली, भस्त्रिका, भ्रामरी, मूर्छा और प्लाविनी में आठ प्रकार के कुम्भक (प्राणायाम) है। इनका वर्णन ऩिम्न प्रकार है 1. सूर्यभेदी प्राणायाम - हठयोग प्रदीपिका में सूर्यभेदन या सूर्यभेदी प्राणायाम का वर्णन इस प्रकार किया गया है - आसने सुखदे योगी बदध्वा चैवासनं ततः।  दक्षनाड्या समाकृष्य बहिस्थं पवन शनै:।।  आकेशादानखाग्राच्च निरोधावधि क्रुंभयेत। ततः शनैः सव्य नाड्या रेचयेत् पवन शनै:।। (ह.प्र. 2/48/49) अर्थात- पवित्र और समतल स्थान में उपयुक्त आसन बिछाकर उसके ऊपर पद्मासन, स्वस्तिकासन आदि किसी आसन में सुखपूर्वक मेरुदण्ड, गर्दन और सिर को सीधा रखते हुए बैठेै। फिर दाहिने नासारन्ध्र अर्थात पिंगला नाडी से शनैः शनैः पूरक करें। आभ्यन्तर कुम्भक करें। कुम्भक के समय मूलबन्ध व जालन्धरबन्ध लगा कर रखें।  यथा शक्ति कुम्भक के पश्चात जालन्धरबन्ध ख

बंध एवं मुद्रा का अर्थ , परिभाषा, उद्देश्य

  मुद्रा का अर्थ एवं परिभाषा  'मोदन्ते हृष्यन्ति यया सा मुद्रा यन्त्रिता सुवर्णादि धातुमया वा'   अर्थात्‌ जिसके द्वारा सभी व्यक्ति प्रसन्‍न होते हैं वह मुद्रा है जैसे सुवर्णादि बहुमूल्य धातुएं प्राप्त करके व्यक्ति प्रसन्‍नता का अनुभव अवश्य करता है।  'मुद हर्ष' धातु में “रक्‌ प्रत्यय लगाकर मुद्रा शब्दं॑ की निष्पत्ति होती है जिसका अर्थ प्रसन्‍नता देने वाली स्थिति है। धन या रुपये के अर्थ में “मुद्रा' शब्द का प्रयोग भी इसी आशय से किया गया है। कोष में मुद्रा' शब्द के अनेक अर्थ मिलते हैं। जैसे मोहर, छाप, अंगूठी, चिन्ह, पदक, रुपया, रहस्य, अंगों की विशिष्ट स्थिति (हाथ या मुख की मुद्रा)] नृत्य की मुद्रा (स्थिति) आदि।  यौगिक सन्दर्भ में मुद्रा शब्द को 'रहस्य' तथा “अंगों की विशिष्ट स्थिति' के अर्थ में लिया जा सकता है। कुण्डलिनी शक्ति को जागृत करने के लिए जिस विधि का प्रयोग किया जाता है, वह रहस्यमयी ही है। व गोपनीय होने के कारण सार्वजनिक नहीं की जाने वाली विधि है। अतः रहस्य अर्थ उचित है। आसन व प्राणायाम के साथ बंधों का प्रयोग करके विशिष्ट स्थिति में बैठकर 'म