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MCQ on Yoga for practice

 MCQ on Yoga for practice (Set-16)

नोट:- इस प्रश्नपत्र में (25) बहुसंकल्पीय प्रश्न है। प्रत्येक प्रश्न के दो (2) अंक है। सभी प्रश्न अनिवार्य

1. लम्बर स्पोन्डीलोसिस में कौन-से आसन निषिद्ध हैं ?
(i) पादहस्तासन
(ii) भुजंगासन
(iii) अर्ध-चक्रासन
(iv) पवनमुक्तासन
नीचे दिए गए कूट में से सही उत्तर को चुनिए :
 कूटः
1. (ii) और (iii) सही हैं।
2. (i) और (ii) सही हैं |
3. (iii) और (iv) सही हैं।
4. (i) और (iv) सही हैं।

2. नीचे दो कथन दिए गए हैं, जिनमें से एक अभिकथन (A) है और दूसरा तर्क (R) है । कथनों को पढ़िए और नीचे दिए गए कूट में से सही उत्तर चुनिए ।
अभिकथन (A) : योग के अभ्यास विशेष का प्रदर्शन स्वयं शिक्षक द्वारा किया जाना वांछनीय होता है |
तर्क (R) : स्वयं के प्रदर्शन द्वारा शिक्षक विद्यार्थियों से उत्तम ढंग से संवाद कर सकता हैं |
कूट:
1. (A) और (R) दोनों सही हैं, परन्तु (R), (A) की सही व्याख्या नहीं है ।
2. (A) और (R) दोनों सही हैं तथा (R), (A) की सही व्याख्या है।
3. (A) सही है, परन्तु (R) ग़लत है।
4. (A) ग़लत है, परन्तु (R) सही है । 

3. नीचे दो कथन दिए गए हैं, जिनमें से एक अभिकथन (A) है और दूसरा तर्क (R) है । कथनों को पढ़िए और नीचे दिए गए कूट में से सही उत्तर चुनिए ।
अभिकथन (A) : दो विपरीत उद्देश्यों के बीच संघर्ष कुण्ठा का प्रमुख स्रोत होता है ।
तर्क (R) : जब दो उद्देश्यों के बीच संघर्ष होता है और एक उद्देश्य की संतुष्टि होती है तो दूसरे उद्देश्य को कुण्ठा होती है |
कूट:
1. (A) और (R) दोनों सही हैं, परन्तु (R), (A) की सही व्याख्या नहीं है ।
2.  (A) सही है, परन्तु (R) ग़लत है।
3. (A) और (R) दोनों सही हैं, तथा (R), (A) की सही व्याख्या है ।
4. (A) ग़लत है, परन्तु (R) सही है । 

4. नीचे दो कथन दिए गए हैं, जिनमें से एक अभिकथन (A) है और दूसरा तर्क (R) है । कथनों को पढ़िए और नीचे दिए गए कूट में से सही उत्तर चुनिए ।
अभिकथन (A) : कुम्भक के अभ्यास के पूर्व नाड़ी शोधन आवश्यक है।
तर्क (R) : मलपूरित नाड़ियों में प्राण का प्रवाह नहीं होता, जिससे उन्मनीभाव की प्राप्ति न होने के कारण साधना पूर्ण नहीं होती है।
कूट:
1. (A) और (R) दोनों सही हैं तथा (R), (A) की सही व्याख्या है।
2. (A) ग़लत है, परन्तु (R) सही है ।
3. (A) और (R) दोनों सही हैं, परन्तु (R), (A) की सही व्याख्या नहीं है ।
4.  (A) सही है, परन्तु (R) ग़लत है।

5. नीचे दो कथन दिए गए हैं, जिनमें से एक अभिकथन (A) है और दूसरा तर्क (R) है। कथनों को पढ़िए और नीचे दिए गए कूट में से सही उत्तर चुनिए ।
अभिकथन (A) :  तकनीक एवं उद्देश्य के आधार पर प्राणायाम के अभ्यास अन्य श्वसन अभ्यासों से सर्वथा भिन्न होते हैं।
तर्क (R) : योगाभ्यास की प्रकृति विभिन्न प्रकार की होती है और इनकी विभिन्न प्रकार की क्रियाविधियों द्वारा विशेष प्रकार के योगाभ्यासों के परिणाम प्राप्त किए जाते हैं।
कूट:
1. (A) और (R) दोनों सही हैं, परन्तु (R), (A) की सही व्याख्या नहीं है ।
2. (A) और (R) दोनों सही हैं तथा (R), (A) की सही व्याख्या है।
3. (A) ग़लत है, परन्तु (R) सही है ।
4. (A) सही है, परन्तु (R) ग़लत है।

6. नीचे दो कथन दिए गए हैं, जिनमें से एक अभिकथन (A) है और दूसरा तर्क (R) है। कथनों को पढ़िए और नीचे दिए गए कूट में से सही उत्तर चुनिए।
अभिकथन (A) : योग अभ्यासी के लिए मिताहार का सुझाव दिया जाता है।
तर्क (R) : मिताहार का अर्थ होता है एक-तिहाई उदर को खाली रखना, जो योग साधना में सहायक होता है।
कूट:
1. (A) ग़लत है, परन्तु (R) सही है।
2. (A) और (R) दोनों सही हैं, परन्तु (R), (A) की सही व्याख्या नहीं है।
3. (A) सही है, परन्तु (R) ग़लत है।
4. (A) और (R) दोनों सही हैं तथा (R), (A) की सही व्याख्या है।

7. नीचे दो कथन दिए गए हैं, जिनमें से एक अभिकथन (A) है और दूसरा तर्क (R) है। कथनों को पढ़िए और नीचे दिए गए कूट में से सही उत्तर चुनिए ।
अभिकथन (A) : एक भक्तियोगी सभी प्राणियों के प्रति प्रेमभाव रखता है।
तर्क (R) : जो व्यक्ति सभी प्राणियों के साथ प्रेम भावना, मित्रता, करुणा तथा क्षमाशीलता रखता है, वह भगवान का प्रिय होता है।
कूट:
1. (A) और (R) दोनों सही हैं, परन्तु (R), (A) की सही व्याख्या नहीं है।
2. (A) ग़लत है, परन्तु (R) सही है ।
3. (A) और (R) दोनों सही हैं तथा (R), (A) की सही व्याख्या है।
4. (A) सही है, परन्तु (R) ग़लत है।

8. नीचे दो कथन दिए गए हैं, जिनमें से एक अभिकथन (A) है और दूसरा तर्क (R) है। कथनों को पढ़िए और नीचे दिए गए कूट में से सही उत्तर चुनिए ।
अभिकथन (A) : धारणा के अभ्यास से पूर्व प्राणायाम आवश्यक है।
तर्क (R) : प्राणायाम के अभ्यास से सत्व के प्रकाश का आवरण क्षय हो जाता है तथा मन धारणा के योग्य हो जाता है।
कूट:
1. (A) ग़लत है, परन्तु (R) सही है।
2. (A) और (R) दोनों सही हैं तथा (R), (A) की सही व्याख्या है।
3. (A) सही है, परन्तु (R) ग़लत है।
4. (A) और (R) दोनों सही हैं, परन्तु (R), (A) की सही व्याख्या नहीं है।

9. नीचे दो कथन दिए गए हैं, जिनमें से एक अभिकथन (A) है और दूसरा तर्क (R) है। कथनों को पढ़िए और नीचे दिए गए कूट में से सही उत्तर चुनिए।
अभिकथन (A) : पांच यमों को महाव्रत के रूप में माना जाता है।
तर्क (R) : किसी भी वर्ग, स्थान और जीवन के किसी भी समय पर किसी भी व्यक्ति द्वारा पांचों यमों का अभ्यास किया जा सकता है।
कूट:
1. (A) ग़लत है, परन्तु (R) सही है ।
2. (A) और (R) दोनों सही हैं, परन्तु (R), (A) की सही व्याख्या नहीं है ।
3. (A) सही है, परन्तु (R) ग़लत है।
4. (A) और (R) दोनों सही हैं तथा (R), (A) की सही व्याख्या है।

10. सिद्ध सिद्धान्त पद्धति के अनुसार, निम्नलिखित चक्रों को आरोही क्रम में व्यवस्थित कीजिए :
(i) आकाश चक्र
(ii) कण्ठ चक्र
(iii) भ्रू चक्र
(iv) निर्वाण चक्र
(v) तालु चक्र
नीचे दिए गए कूट में से सही उत्तर को चुनिए :
कूट :
(1)  (i),  (iii),  (ii), (iv), (v)
(2)  (ii),  (v), (iv), (i), (iii)
(3)  (ii),  (v),  (iii), (iv), (i)
(4)  (iii), (ii), (iv), (i), (v)

11. निम्नलिखित क्रियाओं को ऊर्जा-ब्यय (कैलोरी प्रति घंटा) के बढ़ते हुए क्रम में व्यवस्थित कीजिए :
(i)  दौड़ना
(ii) चलना
(iii) तैरना
(iv) सीढ़ियाँ चढ़ना
नीचे दिए गए कूट में से सही उत्तर को चुनिए :
कूट :
(1)  (ii), (iii), (i), (iv)
(2)  (iv), (iii), (ii), (i)
(3)  (iii), (ii), (iv), (i)
(4)  (i),  (ii), (iii), (iv)

12. लघु शंखप्रक्षालन की तकनीक में निम्नलिखित आसानो को उचित क्रम में व्यवस्थित कीजिए :
(i) तिर्यक ताडासन
(ii) ताडासन
(iii) तिर्यक भुजंगासन
(iv) उदराकर्षणासन
(v) कटि चक्रासन
नीचे दिए गए कूट मे से सही उत्तर को चुनिए
कूट :

1. (i), (ii), (v), (iii), (iv)
2. (ii), (i), (v), (iii), (iv)
3. (ii), (i), (iii), (v), (iv)
4. (i), (ii), (iii), (v), (iv)  

13. सूची- i को सूची- ii से सुमेलित कीजिए और नीचे दिए गए कूट मे से सही उत्तर को चुनिए :
         सूची- i             सूची- ii
(a) अन्नमय कोश    (i) आनंद
(b) प्राणमय कोश     (ii) मन
(c) मनोमय कोश     (iii) ऊर्जा
(d) आनंदमय कोश  (iv) स्थूल शरीर
कूट :
1. (a)-(iv), (b)-(i), (c)-(ii), (d)-(iii)
2. (a)-(ii), (b)-(iii), (c)-(i), (d)-(iv)
3. (a)-(iii), (b)-(iv), (c)-(i), (d)-(ii)
4. (a)-(iv), (b)-(iii), (c)-(ii), (d)-(i)

14. सूची- i को सूची- ii से सुमेलित कीजिए और नीचे दिए गए कूट मे से सही उत्तर को चुनिए :
        सूची- i             सूची- ii
(a) न्यूरॉन             (i) फेफड़े
(b) कॉर्निया            (ii) गुर्दे
(c) नेफ्राॅन               (iii) मस्तिष्क
(d) एल्विओल्स      (iv) आँखें
कूट :
1. (a)-(iv), (b)-(i), (c)-(ii), (d)-(iii)
2. (a)-(iii), (b)-(iv), (c)-(ii), (d)-(i)
3. (a)-(iii), (b)-(iv), (c)-(i), (d)-(ii)
4. (a)-(iv), (b)-(iii), (c)-(ii), (d)-(i)

15. शिवसंहितानुसार, सूची- i को सूची- ii से सुमेलित कीजिए और नीचे दिए गए कूट मे से सही उत्तर को चुनिए
     सूची- i        सूची- ii
    (उपप्राण)      (कार्य)
(a) नाग         (i) भूख-प्यास
(b) देबदत्त   (ii) पलक-झपकना
(c) धनञ्जय (iii) जम्भाई
(d) कृकर      (iv) हिचकी
(e) कूर्म        (v) डकार
कूट :
1. (a)-(v), (b)-(iii), (c)-(iv), (d)-(i), (e)-(ii)
2. (a)-(iii), (b)-(ii), (c)-(iv), (d)-(v), (e)-(i)
3. (a)-(ii), (b)-(iii), (c)-(v), (d)-(i), (e)-(iv)
4. (a)-(i), (b)-(iv), (c)-(iii), (d)-(v), (e)-(ii)

16. सूची- i को सूची- ii से सुमेलित कीजिए और नीचे दिए गए कूट मे से सही उत्तर को चुनिए :
       सूची- i             सूची- ii :
(a) अविद्या           (i) यम
(b) स्त्यान             (ii) क्लेश
(c) अपरिग्रह          (iii) भावना
(d) दौर्मनस्य         (iv) अन्तराय
(e) करुणा              (v) सहेभुव:
कूटः
1. (a)-(iii), (b)-(i), (c)-(ii), (d)-(v), (e)-(iv)
2. (a)-(i), (b)-(ii), (c)-(iii), (d)-(iv), (e)-(v)
3. (a)-(ii), (b)-(iv), (c)-(i), (d)-(v), (e)-(iii)
4. (a)-(iv), (b)-(iii), (c)-(v), (d)-(i), (e)-(ii)  

17. हठ रत्नावली के अनुसार, सूची- i को सूची- ii से सुमेलित कीजिए और नीचे दिए गए कूट में से सही उत्तर को चुनिए :
        सूची- i              सूची- ii
(a) धौति कर्म         (i) अर्श रोग
(b) नेति कर्म         (ii) मन्दाग्नि
(c) बस्ति कर्म       (iii) कास और श्वास
(d) चक्रि कर्म        (iv) गुल्म और प्लीहा रोग
(e) नौलि कर्म        (v) दृष्टि दोष
कूट :
1. (a)-(ii), (b)-(v), (c)-(iv), (d)-(i), (e)-(iii)
2. (a)-(i), (b)-(ii), (c)-(iii), (d)-(iv), (e)-(v)
3. (a)-(iii), (b)-(v), (c)-(iv), (d)-(i), (e)-(ii)
4. (a)-(iii), (b)-(v), (c)-(i), (d)-(ii), (e)-(iv)

18. सूची- i को सूची- ii से सुमेलित कीजिए और नीचे दिए गए कूट में से सही उत्तर को चुनिए :
        सूची- i           सूची- ii
(a) वायु महाभूत      (i) रस
(b) जल महाभूत     (ii) गन्ध
(c) अग्नि महाभूत  (iii) स्पर्श
(d) पृथ्वी महाभूत   (iv) रूप
कूटः
1. (a)-(iii), (b)-(i), (c)-(iv), (d)-(ii)
2. (a)-(iv), (b)-(iii), (c)-(i), (d)-(ii)
3. (a)-(i), (b)-(ii), (c)-(iii), (d)-(iv)
4. (a)-(ii), (b)-(iii), (c)-(iv), (d)-(i)\)  

19. घेरण्ड संहिता के अनुसार  सूची- i को सूची- ii से सुमेलित कीजिए और नीचे दिए गए कूट में से सही उत्तर को चुनिए :
      सूची- i           सूची- ii
(a) षटकर्म         (i) दृढ़ता
(b) प्राणायाम     (ii) स्थिरता
(c) आसन          (iii) लाघव
(d) मुद्रा              (iv) शोधन
कूटः
1. (a)-(iii), (b)-(iv), (c)-(i), (d)-(ii)
2. (a)-(iv), (b)-(iii), (c)-(i), (d)-(ii)
3. (a)-(i), (b)-(ii), (c)-(iii), (d)-(iv)
4. (a)-(ii), (b)-(iii), (c)-(iv), (d)-(i)\

20. सूची- i को सूची- ii से सुमेलित कीजिए और नीचे दिए गए कूट में से सही उत्तर को चुनिए :
        सूची- i                    सूची- ii
(व्यक्तित्व के प्रकार)    (प्रतिपादक)
(a) एसेन्डेन्ट              (i) शेल्डन
(b) एथलेटिक             (ii) आलपोर्ट
(c) इस्ट्रोवर्ट               (iii) कार्ल युंग
(e) एक्टोमॉर्फिक        (iv) क्रेशमर
कूटः
1. (a)-(ii), (b)-(iv), (c)-(iii), (d)-(i)
2. (a)-(iv), (b)-(ii), (c)-(i), (d)-(iii)
3. (a)-(i), (b)-(iii), (c)-(ii), (d)-(iv)
4. (a)-(ii), (b)-(iv), (c)-(i), (d)-(iii)

21. सूची- i को सूची- ii से सुमेलित कीजिए और नीचे दिए गए कूट में से सही उत्तर को चुनिए :
       सूची- i               सूची- ii
(a) कूर्म नाड़ी      (i) कायव्यूहज्ञानम्‌
(b) नाभि चक्र     (ii) भूख और प्यास का अभाव
(c) कण्ठ कूप      (iii) स्थैर्यम्‌
(d) मूर्धाज्योति   (iv) तारों की स्थिति का ज्ञान
(e) चन्द्र             (v) सिद्धदर्शन
कूटः
1. (a)-(ii), (b)-(iv), (c)-(iii), (d)-(i), (e)-(v)
2. (a)-(iv), (b)-(ii), (c)-(v), (d)-(i), (e)-(iii)
3. (a)-(i), (b)-(iii), (c)-(ii), (d)-(v), (e)-(iv)
4. (a)-(iii), (b)-(i), (c)-(ii), (d)-(v), (e)-(iv)

22.  सूची- i को सूची- ii से सुमेलित कीजिए और नीचे दिए गए कूट में से सही उत्तर को चुनिए :
     सूची- i                   सूची- ii
   (प्रकृति)                   (प्रकार)
(a) सात्विक                (i) तीन
(b) राजसिक               (ii) सात
(c) तामसिक              (iii) छह
(d) त्रिदोषज-शारीरिक (iv) एक
कूट :
1. (a)-(ii), (b)-(iv), (c)-(iii), (d)-(i)
2. (a)-(ii), (b)-(iii), (c)-(i), (d)-(iv)
3. (a)-(i), (b)-(iii), (c)-(ii), (d)-(iv)
4. (a)-(ii), (b)-(iv), (c)-(i), (d)-(iii)

23.  सूची- i को सूची- ii से सुमेलित कीजिए और नीचे दिए गए कूट में से सही उत्तर को चुनिए :
      सूची- i                    सूची- ii
(a) संतोष               (i) समाधिसिद्धि:
(b) स्वाध्याय         (ii) कायेन्द्रियसिद्धि:
(c) ईश्वरप्रणिधान (iii) अनुत्तमसुखलाभ:
(d) तप                  (iv) इष्टदेवतासम्प्रयोग:
कूट :
1. (a)-(iii), (b)-(iv), (c)-(i), (d)-(ii)
2. (a)-(ii), (b)-(iii), (c)-(i), (d)-(iv)
3. (a)-(i), (b)-(iii), (c)-(ii), (d)-(iv)
4. (a)-(ii), (b)-(iv), (c)-(i), (d)-(iii)

 24. नेत्र की संवाहिका परत (वैस्कुलर कोट) निम्नलिखित में से किससे निर्मित होती हैं ?
(i) श्र्वेतपटल (स्क्लेरा)
(ii) स्वच्छ मंडल (काॅर्निया)
(iii) रक्तक पटल (कोराॅयड)
(iv) परितारिका (आइरिस)
नीचे दिए गए कूट में से सही उत्तर को चुनिए :
 कूटः
1. (ii) और (iii) सही हैं।
2. (i) और (ii) सही हैं |
3. (iii) और (iv) सही हैं।
4. (i) और (iv) सही हैं। 

25. निम्नलिखित में से किन आसनो का शिवसंहिता में वर्णन किया गया हैं ?
(i) सिद्धासन
(ii) पद्मासन
(iii) स्वस्तिकासन
(iv) भद्रासन
नीचे दिए गए कूट में से सही उत्तर को चुनिए :
 कूटः
1. (ii) (iii) और (iv) सही हैं।
2. (i)  (ii) और (iii) सही हैं |
3. (i) (ii) और (iv) सही हैं।
4. (i) (iii) और (iv) सही हैं।

   Answer- 1- (4), 2- (2), 3- (3), 4- (1), 5- (1), 6- (3), 7- (3), 8- (2), 9- (4), 10- (3), 11- (1), 12- (2), 13- (4), 14- (2), 15- (1), 16- (3), 17- (3), 18- (1), 19- (2), 20- (1), 21- (4), 22- (2), 23- (1), 24- (3), 25- (2)


To be continuous...... 

UGCNET Yoga MCQ with Answers For practice (Set- 2)

 

 

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चित्त विक्षेपों को ही योगान्तराय ' कहते है जो चित्त को विक्षिप्त करके उसकी एकाग्रता को नष्ट कर देते हैं उन्हें योगान्तराय अथवा योग के विध्न कहा जाता।  'योगस्य अन्तः मध्ये आयान्ति ते अन्तरायाः'।  ये योग के मध्य में आते हैं इसलिये इन्हें योगान्तराय कहा जाता है। विघ्नों से व्यथित होकर योग साधक साधना को बीच में ही छोड़कर चल देते हैं। विध्न आयें ही नहीं अथवा यदि आ जायें तो उनको सहने की शक्ति चित्त में आ जाये, ऐसी दया ईश्वर ही कर सकता है। यह तो सम्भव नहीं कि विध्न न आयें। “श्रेयांसि बहुविध्नानि' शुभकार्यों में विध्न आया ही करते हैं। उनसे टकराने का साहस योगसाधक में होना चाहिए। ईश्वर की अनुकम्पा से यह सम्भव होता है।  व्याधिस्त्यानसंशयप्रमादालस्याविरतिभ्रान्तिदर्शनालब्धभूमिकत्वानवस्थितत्वानि चित्तविक्षेपास्तेऽन्तरायाः (योगसूत्र - 1/30) योगसूत्र के अनुसार चित्त विक्षेपों  या अन्तरायों की संख्या नौ हैं- व्याधि, स्त्यान, संशय, प्रमाद, आलस्य, अविरति, भ्रान्तिदर्शन, अलब्धभूमिकत्व और अनवस्थितत्व। उक्त नौ अन्तराय ही चित्त को विक्षिप्त करते हैं। अतः ये योगविरोधी हैं इन्हें योग के मल...

कठोपनिषद

कठोपनिषद (Kathopanishad) - यह उपनिषद कृष्ण यजुर्वेद की कठ शाखा के अन्तर्गत आता है। इसमें दो अध्याय हैं जिनमें 3-3 वल्लियाँ हैं। पद्यात्मक भाषा शैली में है। मुख्य विषय- योग की परिभाषा, नचिकेता - यम के बीच संवाद, आत्मा की प्रकृति, आत्मा का बोध, कठोपनिषद में योग की परिभाषा :- प्राण, मन व इन्दियों का एक हो जाना, एकाग्रावस्था को प्राप्त कर लेना, बाह्य विषयों से विमुख होकर इन्द्रियों का मन में और मन का आत्मा मे लग जाना, प्राण का निश्चल हो जाना योग है। इन्द्रियों की स्थिर धारणा अवस्था ही योग है। इन्द्रियों की चंचलता को समाप्त कर उन्हें स्थिर करना ही योग है। कठोपनिषद में कहा गया है। “स्थिराम इन्द्रिय धारणाम्‌” .  नचिकेता-यम के बीच संवाद (कहानी) - नचिकेता पुत्र वाजश्रवा एक बार वाजश्रवा किसी को गाय दान दे रहे थे, वो गाय बिना दूध वाली थी, तब नचिकेता ( वाजश्रवा के पुत्र ) ने टोका कि दान में तो अपनी प्रिय वस्तु देते हैं आप ये बिना दूध देने वाली गाय क्यो दान में दे रहे है। वाद विवाद में नचिकेता ने कहा आप मुझे किसे दान में देगे, तब पिता वाजश्रवा को गुस्सा आया और उसने नचिकेता को कहा कि तुम ...

हठयोग प्रदीपिका में वर्णित प्राणायाम

हठयोग प्रदीपिका में प्राणायाम को कुम्भक कहा है, स्वामी स्वात्माराम जी ने प्राणायामों का वर्णन करते हुए कहा है - सूर्यभेदनमुज्जायी सीत्कारी शीतल्री तथा।  भस्त्रिका भ्रामरी मूर्च्छा प्लाविनीत्यष्टकुंम्भका:।। (हठयोगप्रदीपिका- 2/44) अर्थात् - सूर्यभेदन, उज्जायी, सीत्कारी, शीतली, भस्त्रिका, भ्रामरी, मूर्छा और प्लाविनी में आठ प्रकार के कुम्भक (प्राणायाम) है। इनका वर्णन ऩिम्न प्रकार है 1. सूर्यभेदी प्राणायाम - हठयोग प्रदीपिका में सूर्यभेदन या सूर्यभेदी प्राणायाम का वर्णन इस प्रकार किया गया है - आसने सुखदे योगी बदध्वा चैवासनं ततः।  दक्षनाड्या समाकृष्य बहिस्थं पवन शनै:।।  आकेशादानखाग्राच्च निरोधावधि क्रुंभयेत। ततः शनैः सव्य नाड्या रेचयेत् पवन शनै:।। (ह.प्र. 2/48/49) अर्थात- पवित्र और समतल स्थान में उपयुक्त आसन बिछाकर उसके ऊपर पद्मासन, स्वस्तिकासन आदि किसी आसन में सुखपूर्वक मेरुदण्ड, गर्दन और सिर को सीधा रखते हुए बैठेै। फिर दाहिने नासारन्ध्र अर्थात पिंगला नाडी से शनैः शनैः पूरक करें। आभ्यन्तर कुम्भक करें। कुम्भक के समय मूलबन्ध व जालन्धरबन्ध लगा कर रखें।  यथा शक्ति कुम्भक के प...

हठयोग का अर्थ , परिभाषा, उद्देश्य

  हठयोग का अर्थ भारतीय चिन्तन में योग मोक्ष प्राप्ति का एक महत्वपूर्ण साधन रहा है, योग की विविध परम्पराओं (ज्ञानयोग, कर्मयोग, भक्तियोग, हठयोग) इत्यादि का अन्तिम लक्ष्य भी मोक्ष (समाधि) की प्राप्ति ही है। हठयोग के साधनों के माध्यम से वर्तमान में व्यक्ति स्वास्थ्य लाभ तो करता ही है पर इसके आध्यात्मिक लाभ भी निश्चित रूप से व्यक्ति को मिलते है।  हठयोग- नाम से यह प्रतीत होता है कि यह क्रिया हठ- पूर्वक की जाने वाली है। परन्तु ऐसा नही है अगर हठयोग की क्रिया एक उचित मार्गदर्शन में की जाये तो साधक सहजतापूर्वक इसे कर सकता है। इसके विपरित अगर व्यक्ति बिना मार्गदर्शन के करता है तो इस साधना के विपरित परिणाम भी दिखते है। वास्तव में यह सच है कि हठयोग की क्रियाये कठिन कही जा सकती है जिसके लिए निरन्तरता और दृठता आवश्यक है प्रारम्भ में साधक हठयोग की क्रिया के अभ्यास को देखकर जल्दी करने को तैयार नहीं होता इसलिए एक सहनशील, परिश्रमी और तपस्वी व्यक्ति ही इस साधना को कर सकता है।  संस्कृत शब्दार्थ कौस्तुभ में हठयोग शब्द को दो अक्षरों में विभाजित किया है।  1. ह -अर्थात हकार  2. ठ -अर्थ...

बंध एवं मुद्रा का अर्थ , परिभाषा, उद्देश्य

  मुद्रा का अर्थ एवं परिभाषा  'मोदन्ते हृष्यन्ति यया सा मुद्रा यन्त्रिता सुवर्णादि धातुमया वा'   अर्थात्‌ जिसके द्वारा सभी व्यक्ति प्रसन्‍न होते हैं वह मुद्रा है जैसे सुवर्णादि बहुमूल्य धातुएं प्राप्त करके व्यक्ति प्रसन्‍नता का अनुभव अवश्य करता है।  'मुद हर्ष' धातु में “रक्‌ प्रत्यय लगाकर मुद्रा शब्दं॑ की निष्पत्ति होती है जिसका अर्थ प्रसन्‍नता देने वाली स्थिति है। धन या रुपये के अर्थ में “मुद्रा' शब्द का प्रयोग भी इसी आशय से किया गया है। कोष में मुद्रा' शब्द के अनेक अर्थ मिलते हैं। जैसे मोहर, छाप, अंगूठी, चिन्ह, पदक, रुपया, रहस्य, अंगों की विशिष्ट स्थिति (हाथ या मुख की मुद्रा)] नृत्य की मुद्रा (स्थिति) आदि।  यौगिक सन्दर्भ में मुद्रा शब्द को 'रहस्य' तथा “अंगों की विशिष्ट स्थिति' के अर्थ में लिया जा सकता है। कुण्डलिनी शक्ति को जागृत करने के लिए जिस विधि का प्रयोग किया जाता है, वह रहस्यमयी ही है। व गोपनीय होने के कारण सार्वजनिक नहीं की जाने वाली विधि है। अतः रहस्य अर्थ उचित है। आसन व प्राणायाम के साथ बंधों का प्रयोग करके विशिष्ट स्थिति में बैठकर 'म...

योग आसनों का वर्गीकरण एवं योग आसनों के सिद्धान्त

योग आसनों का वर्गीकरण (Classification of Yogaasanas) आसनों की प्रकृति को ध्यान में रखते हुए इन्हें तीन भागों में विभक्त किया जा सकता है (1) ध्यानात्मक आसन- ये वें आसन है जिनमें बैठकर पूजा पाठ, ध्यान आदि आध्यात्मिक क्रियायें की जाती है। इन आसनों में पद्मासन, सिद्धासन, स्वस्तिकासन, सुखासन, वज्रासन आदि प्रमुख है। (2) व्यायामात्मक आसन- ये वे आसन हैं जिनके अभ्यास से शरीर का व्यायाम तथा संवर्धन होता है। इसीलिए इनको शरीर संवर्धनात्मक आसन भी कहा जाता है। शारीरिक स्वास्थ्य के संरक्षण तथा रोगों की चिकित्सा में भी इन आसनों का महत्व है। इन आसनों में सूर्य नमस्कार, ताडासन,  हस्तोत्तानासन, त्रिकोणासन, कटिचक्रासन आदि प्रमुख है। (3) विश्रामात्मक आसन- शारीरिक व मानसिक थकान को दूर करने के लिए जिन आसनों का अभ्यास किया जाता है, उन्हें विश्रामात्मक आसन कहा जाता है। इन आसनों के अन्तर्गत शवासन, मकरासन, शशांकासन, बालासन आदि प्रमुख है। इनके अभ्यास से शारीरिक थकान दूर होकर साधक को नवीन स्फूर्ति प्राप्त होती है। व्यायामात्मक आसनों के द्वारा थकान उत्पन्न होने पर विश्रामात्मक आसनों का अभ्यास थकान को दूर करके त...