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Teaching Aptitude MCQ- UGC NET JRF Paper-1

UGC NET Paper-1 Teaching Aptitude MCQ in English, Teaching Aptitude MCQ with Answers,  NET Paper-1 Teaching Aptitude MCQ, Teaching Aptitude MCQ for UGC NET JRF Paper-1

Q-1- In which period is microteaching most effective for student-teachers?

(1) During teaching-practice

(2) After teaching-practice

(3) Before teaching-practice

(4) None of the above

Q-2- Who is the most unnecessary factor in teaching?

(1) Punishing students

(2) Maintaining discipline in the class

(3) Lecturing effectively

(4) Drawing pictures and drawings on the blackboard

Q-3- Which of the following is not an instructional material?

(1) Over Head Project

(2) Audio cassette

(3) Printed material

(4) Transparency

Q-4- Which of the following statement is not correct?

(1) The development of reasoning power can be done through lecture method.

(2) Knowledge can be developed through lecture method

(3) Interpretation method is a one-way process

(4) Students are passive during lecture mode

Q-5- The main objective of teaching at higher education level is.

(1) To prepare the students to pass the examination

(2) Developing decision making ability

(3) Providing new information

(4) Motivating students to ask questions during lectures

Q-6- Which of the following statement is correct?

(1) Reliability ensures validity

(2) Validity ensures reliability

(3) Reliability and validity are independent of each other

(4) Reliability does not depend on objectivity

Q-7- Which of the following indicates evaluation?

(1) Ram got 45 marks out of 200

(2) Mohan got 38 percent marks in English

(3) Shyam passed in the final examination with first division

(4) All of the above

Q-8- Which of the following has teaching-learning skills?

(1) Blackboard writing

(2) To question

(3) Explain

(4) All of the above

Q-9- Which of the following statements is not rational?

(1) Teachers can teach

(2) Teachers can inculcate the desire to acquire knowledge in the learners

(3) Lecture system can be used for the development of thinking process

(4) Teachers are born

Q-10- Which of the following statements is correct?

(1) The syllabus is part of the text description

(2) The syllabus is an enclosure part of the curriculum vitae

(3) The syllabus is the same for all the educational institutions which are affiliated to a particular university.

(4) Curriculum is not uniform in colleges affiliated to a particular university

Q-11- Which of the following options corresponds to 'Level of Understanding'?

(i) Explanation of noun

(ii) Explain the noun in its own words

(1) Only i

(2) Only ii

(3) Both i and ii

(4) None of i and ii

Q-12- Why should one give preference to teaching over other professions?

(1) For the service of humanity

(2) For the love of teaching

(3) For the love of youth

(4) To acquire skill on the subject of teaching

Q-13- As a teacher, what will you do if students do not come to class?

(1) Neglect of reality

(2) Trying to make teaching interesting and effective

(3) Punish the students

(4) Understanding the cause and removing it

Q-14- Choose one of the following options, which you think is most appropriate when students are not paying attention in their class-

(1) Ignore the problem

(2) Punish the students

(3) Ask students to pay attention

(4) Understand the reason

Q-15- Select the best option to improve higher education institutions in India-

(1) Flexible Curriculum Decentralized Examination

(2) Flexible Curriculum Centralized Examination

(3) Common Syllabus Decentralized Examination

(4) Common Curriculum Centralized Examination

Q-16- A student asks a lot of questions in class. What would you do?

(1) Will scold, tell you to sit quietly

(2) Will refuse by calling out

(3) Will ignore

(4) Encourage to ask questions

Answers- Q. 1- (1), Q. 2- (1), Q. 3- (3), Q. 4- (4), Q. 5- (2), Q. 6- (2), Q. 7- (4), Q. 8- (4), Q. 9- (4), Q. 10- (1), Q. 11- (2), Q. 12- (2), Q. 13- (4), Q. 14- (4), Q. 15- (3), Q. 16- (4)

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योग आसनों का वर्गीकरण (Classification of Yogaasanas) आसनों की प्रकृति को ध्यान में रखते हुए इन्हें तीन भागों में विभक्त किया जा सकता है (1) ध्यानात्मक आसन- ये वें आसन है जिनमें बैठकर पूजा पाठ, ध्यान आदि आध्यात्मिक क्रियायें की जाती है। इन आसनों में पद्मासन, सिद्धासन, स्वस्तिकासन, सुखासन, वज्रासन आदि प्रमुख है। (2) व्यायामात्मक आसन- ये वे आसन हैं जिनके अभ्यास से शरीर का व्यायाम तथा संवर्धन होता है। इसीलिए इनको शरीर संवर्धनात्मक आसन भी कहा जाता है। शारीरिक स्वास्थ्य के संरक्षण तथा रोगों की चिकित्सा में भी इन आसनों का महत्व है। इन आसनों में सूर्य नमस्कार, ताडासन,  हस्तोत्तानासन, त्रिकोणासन, कटिचक्रासन आदि प्रमुख है। (3) विश्रामात्मक आसन- शारीरिक व मानसिक थकान को दूर करने के लिए जिन आसनों का अभ्यास किया जाता है, उन्हें विश्रामात्मक आसन कहा जाता है। इन आसनों के अन्तर्गत शवासन, मकरासन, शशांकासन, बालासन आदि प्रमुख है। इनके अभ्यास से शारीरिक थकान दूर होकर साधक को नवीन स्फूर्ति प्राप्त होती है। व्यायामात्मक आसनों के द्वारा थकान उत्पन्न होने पर विश्रामात्मक आसनों का अभ्यास थकान को दूर करके ताजगी

हठयोग का अर्थ , परिभाषा, उद्देश्य

  हठयोग का अर्थ भारतीय चिन्तन में योग मोक्ष प्राप्ति का एक महत्वपूर्ण साधन रहा है, योग की विविध परम्पराओं (ज्ञानयोग, कर्मयोग, भक्तियोग, हठयोग) इत्यादि का अन्तिम लक्ष्य भी मोक्ष (समाधि) की प्राप्ति ही है। हठयोग के साधनों के माध्यम से वर्तमान में व्यक्ति स्वास्थ्य लाभ तो करता ही है पर इसके आध्यात्मिक लाभ भी निश्चित रूप से व्यक्ति को मिलते है।  हठयोग- नाम से यह प्रतीत होता है कि यह क्रिया हठ- पूर्वक की जाने वाली है। परन्तु ऐसा नही है अगर हठयोग की क्रिया एक उचित मार्गदर्शन में की जाये तो साधक सहजतापूर्वक इसे कर सकता है। इसके विपरित अगर व्यक्ति बिना मार्गदर्शन के करता है तो इस साधना के विपरित परिणाम भी दिखते है। वास्तव में यह सच है कि हठयोग की क्रियाये कठिन कही जा सकती है जिसके लिए निरन्तरता और दृठता आवश्यक है प्रारम्भ में साधक हठयोग की क्रिया के अभ्यास को देखकर जल्दी करने को तैयार नहीं होता इसलिए एक सहनशील, परिश्रमी और तपस्वी व्यक्ति ही इस साधना को कर सकता है।  संस्कृत शब्दार्थ कौस्तुभ में हठयोग शब्द को दो अक्षरों में विभाजित किया है।  1. ह -अर्थात हकार  2. ठ -अर्थात ठकार हकार - का अर्थ

कठोपनिषद

कठोपनिषद (Kathopanishad) - यह उपनिषद कृष्ण यजुर्वेद की कठ शाखा के अन्तर्गत आता है। इसमें दो अध्याय हैं जिनमें 3-3 वल्लियाँ हैं। पद्यात्मक भाषा शैली में है। मुख्य विषय- योग की परिभाषा, नचिकेता - यम के बीच संवाद, आत्मा की प्रकृति, आत्मा का बोध, कठोपनिषद में योग की परिभाषा :- प्राण, मन व इन्दियों का एक हो जाना, एकाग्रावस्था को प्राप्त कर लेना, बाह्य विषयों से विमुख होकर इन्द्रियों का मन में और मन का आत्मा मे लग जाना, प्राण का निश्चल हो जाना योग है। इन्द्रियों की स्थिर धारणा अवस्था ही योग है। इन्द्रियों की चंचलता को समाप्त कर उन्हें स्थिर करना ही योग है। कठोपनिषद में कहा गया है। “स्थिराम इन्द्रिय धारणाम्‌” .  नचिकेता-यम के बीच संवाद (कहानी) - नचिकेता पुत्र वाजश्रवा एक बार वाजश्रवा किसी को गाय दान दे रहे थे, वो गाय बिना दूध वाली थी, तब नचिकेता ( वाजश्रवा के पुत्र ) ने टोका कि दान में तो अपनी प्रिय वस्तु देते हैं आप ये बिना दूध देने वाली गाय क्यो दान में दे रहे है। वाद विवाद में नचिकेता ने कहा आप मुझे किसे दान में देगे, तब पिता वाजश्रवा को गुस्सा आया और उसने नचिकेता को कहा कि तुम मेरे

हठयोग प्रदीपिका में वर्णित प्राणायाम

हठयोग प्रदीपिका में प्राणायाम को कुम्भक कहा है, स्वामी स्वात्माराम जी ने प्राणायामों का वर्णन करते हुए कहा है - सूर्यभेदनमुज्जायी सीत्कारी शीतल्री तथा।  भस्त्रिका भ्रामरी मूर्च्छा प्लाविनीत्यष्टकुंम्भका:।। (हठयोगप्रदीपिका- 2/44) अर्थात् - सूर्यभेदन, उज्जायी, सीत्कारी, शीतली, भस्त्रिका, भ्रामरी, मूर्छा और प्लाविनी में आठ प्रकार के कुम्भक (प्राणायाम) है। इनका वर्णन ऩिम्न प्रकार है 1. सूर्यभेदी प्राणायाम - हठयोग प्रदीपिका में सूर्यभेदन या सूर्यभेदी प्राणायाम का वर्णन इस प्रकार किया गया है - आसने सुखदे योगी बदध्वा चैवासनं ततः।  दक्षनाड्या समाकृष्य बहिस्थं पवन शनै:।।  आकेशादानखाग्राच्च निरोधावधि क्रुंभयेत। ततः शनैः सव्य नाड्या रेचयेत् पवन शनै:।। (ह.प्र. 2/48/49) अर्थात- पवित्र और समतल स्थान में उपयुक्त आसन बिछाकर उसके ऊपर पद्मासन, स्वस्तिकासन आदि किसी आसन में सुखपूर्वक मेरुदण्ड, गर्दन और सिर को सीधा रखते हुए बैठेै। फिर दाहिने नासारन्ध्र अर्थात पिंगला नाडी से शनैः शनैः पूरक करें। आभ्यन्तर कुम्भक करें। कुम्भक के समय मूलबन्ध व जालन्धरबन्ध लगा कर रखें।  यथा शक्ति कुम्भक के पश्चात जालन्धरबन्ध ख

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