Skip to main content

UGC NET YOGA 75 MCQ IN HINDI Download in PDF File

UGC NET YOGA MCQ IN HINDI WITH ANSWERS 

Set-1

नोट:- इस प्रश्नपत्र में (25) बहुसंकल्पीय प्रश्न है। प्रत्येक प्रश्न के दो (2) अंक है। सभी प्रश्न अनिवार्य  

1. योग' शब्द की व्युत्पत्ति संस्कृत की किस धातु से हुई है?

 1. युग्      2. युगे     3. युज्‌      4. युजे    

   

2. स्वामी कुबलयानंद के योग गुरू..... ?

1. पट्यभि जोइस           2. टी.कृष्णामाचार्य 

3. माधव दास                4. योगेन्द्र

3. ईशावास्योपनिषद्के अनुसार कौन सा आयाम अमतृत्व की प्राप्ति कराता है ?

 1. वैराग्य                      2. विवेक  

3. विद्या                     4. विषय

4.
कठोपनिषद्के अनुसार योग को परिभाषा?

1. मन पर नियंत्रण
2.
इन्द्रियों, मन और बुद्धि पर नियंत्रण
3.
इन्द्रियों और बुद्धि पर नियंत्रण
4.
शरीर और मन पर नियंत्रण

5. शांडिल्य विद्या का किस उपनिषद का वर्णन किया गया है 

1. कठोपनिषद्‌          2. बृहदारण्यकोपनिषद
3.
ऐतरेयोपनिषद्‌       4. छान्दोग्योपनिषद

6. हठ रत्नावली के अनुसार महायोग के प्रकार हैं;

1. 6           2. 4         3. 8            4. 3

7.
भुजंगीकरण ' प्राणायाम का निम्नलिखित में से किस ग्रन्थ में वर्णन किया गया है?

1. योग वशिष्ठ           2. शिव संहिता
3.
हठ रलावली           4. सिद्ध सिद्धांत पद्धति

8.
निम्नलिखित में से सिद्ध सिद्धांत पद्धति में किन चक्रों का उल्लेख किया गया है?

. सूर्य चक्र                ।।. तालु चक्र
।।।. आकाश चक्र       V. सहस्त्रार

सही उत्तर के लिए निम्नलिखित कूटो का उपयोग करें

कूटः

1. ।।। और V
2.
।। और।।।
3.
।।। और
4.
और V

9.
मानव शरीर में सबसे बड़ी ग्रंन्थि है?

1. अग्न्याशय (पैन्क्रियाज़)
2.
यकृत (लिवर)
3.
कर्णमूल ग्रन्थि (पैरोटिज ग्रन्थि)
4.
अधिवृक्क ग्रन्थि (एड्रिनल ग्रन्थि

10. पतंजलि के अनुसार क्रिया-योग के अभ्यास के उद्देश्य हैं,

. विवेक-ख्याति
।।. समाधि-भाव
।।. कैवल्य-प्राप्ति
V. क्लेश-तनुकरण

कूट के अनुसार सही संयोजन चुने:
कूटः

 1. , ।। और ।।। सही हैं।
2.
।।, ।।।और।V सही हैं।
3.
।। और।V सही हैं।
4.
और ।।। सही हैं।

11. आयुर्वेद के किस आचार्य के अनुसारसमदोष: समाग्निश्च समधातु मलक्रिय:” 'स्वस्थ' के विशिष्ट लक्षण हैं?                   

1.आचार्य चरक            2.आचार्य सुश्रुत
3.
आचार्य कश्यप          4.आचार्य वाग्भट

12.
कपालभाति अभ्यास का मुख्य चिकित्सीय लाभ क्या है?

1. कफ संबंधी विकारों को दूर करना।
2 .
पित्त संबंधी विकारों को दूर करना।
3.
वात संबंधी विकारों को दूर करना
4.
वात-पित्त संबंधी विकारों को दूर करना।

13.
हठप्रदीपिका के अनुसार कुम्भक (प्राणायाम) के अभ्यास हेतु कौन सा समय बताया गया है?

1. सूर्योदय पूर्व
2.
सूर्यास्त पश्चात्
3.
प्रात: एवं सायं दोनों समय
4.
प्रातः, मध्यदिन, सायं, अर्द्धरात्रि

14. योग कक्षा आमतौर पर किसके साथ प्रारंभ की जाती है?

 1. प्रार्थना          2. सूर्य नमस्कार
 3.
योग संबंधी   4. योगासन सूक्ष्म व्यायाम
 
15.
वेदांत के विख्यात आचार्यत्रय है...? 

. शंकर              ।।. नारद
।।।.रामानुज       V. मध्व
 
सही उत्तर के लिए निम्नलिखित कूटो उपयोग करें

कूटः

1. ,।। और ।।।             2. ,।।। और V
3. 1,
।।। और V           4. ,।। और V
 
16.
योग वशिष्ठ के अनुसार मोक्ष की प्राप्त के स्तंभ है:

. संतोष             ।।. विचार
।।।. बैराग्य         V. विवेक

सही उत्तर के लिए निम्नलिखित कूय का ..... ?

कूटः
1.
और ।। सही हैं।
2.
।। और ।।। सही हैं।
3.
।।। और V सही हैं।
4.
और V सही हैं।

17. चित्तभूमि के अंतर्गत निम्नलिखित शामिल हैं:

.मूढ़                       ।।. विकल्
।।।.विक्षिप्त            V. निरूद्ध
सही उत्तर के लिए निम्नलिखित कूटो का उपयोग करें

कूटः
1.
, ।।।, V सही हैं।
2.
, ।।, ।।। सही हैं।
3.
,।।, V. सही हैं।
4.
।।,।।।, V. सही हैं।

18.
पातंजल योग सूत्र के अनुसार निम्नलिखित ...... प्राणायाम के प्रकार हैं?

1. स्तम्भवृत्ति प्राणायाम
।।. सहित प्राणायाम
।।।. बाह्याभ्यंतर विषयाक्षेपी प्राणायाम:
V.केवली प्राणायाम
सही उत्तर के लिए निम्नलिखित कूट का उपयोग करें:

कूटः
1.
एवं ।। सहीं हैं।
2.
।। एवं ।।। सही हैं।
3.
एवं ।।। सही हैं।
4.
एवं V सही हैं।

19. निम्नलिखित में से कौन केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र के दो मुख्य भाग हैं ?

. मेरुरज्जु

।।. मस्तिष्क

।।।. अनुकम्पी तंत्रिका तंत्र

V. परानुकम्पी तंत्रिका तंत्र

सही उत्तर देने के लिए नीचे दिए गए कूटों का उपयोग करें

कूटः

1.
एवं ।। सहीं हैं।
2.
।। एवं V सही हैं।
3.
।। एवं ।।। सही हैं।
4.
।। एवं V सही हैं।

20. उच्च-रक्तचाप के निम्न में से कौन से कारण हो सकते है ?

. मोटापा

।।. तनाव

।।।. टहलना

V. धूम्रपान करना

नीचे दिए गए कूटो की सहायता से सही संयोजन ज्ञान करें:

कूटः

 1.
, ।। और ।।। सही हैं।
2.
।।, ।।।और।V सही हैं।
3.
।।। और V सही हैं।
4.
, ।। और V सही  हैं। 

21. हठप्रदीपिका के अनुसार हठसिद्धि के कौन से लक्षण है

. नेत्र निर्मल होना।

।।. शरीर का पतला होना।

।।।. मुख पर प्रसन्नता होना।

V. स्मरण शक्ति बढ़ना।

नीचे दिए गए कूटो के अनुसार सही संयोजन चुने

कूटः

1.
, ।। और ।।। सही हैं।
2.
।।, ।।। और।V सही हैं।
3.
, ।। और V सही हैं।
4.
, ।।। और V सही  हैं।

22. हठप्रदीपिका के अनुसार सूर्यभेदन प्राणायाम के लाभ हैं 

. कपाल शुद्धि करता है।

।।. उदरकृमि नष्ट करता है।

।।।. वायु को संतुलित करता है।

V. भूख प्यास मियता है।

सही उत्तर के लिए निम्नलिखित कूटो का उपयोग करें

कूटः

1.
एवं ।। सहीं हैं।
2.
।। एवं V सही हैं।
3.
।। एवं ।।। सही हैं।
4.
एवं V सही हैं।

23.
किस आसन के अभ्यास के दौरान मेरुदण्ड का झुकाव पीछे की ओर होता हैं ?

. भुजंगासन                  ।।. वज्रासन

।।।. पश्चिमोत्तानासन   V. धनुरासन

सही उत्तर के लिए निम्नलिखित कूट का उपयोग करें

कूटः

1.
एवं ।। सहीं हैं।
2.
।। एवं V सही हैं।
3.
।। एवं ।।। सही हैं।
4.
एवं V सही हैं।


24.
निम्नलिखित में से अशाब्दिक सम्प्रेषण कौशल हैं

. आँखों द्वारा सम्पर्क बनाए रखना

।।. शारीरिक भंगिमाएँ

।।।. मुखीय अभिव्यक्तियाँ

V. व्याख्यान-सह प्रदर्शन

कूट के अनुसार सही संयोजन है;

कूटः

1.
, ।। और ।।। सही हैं।
2.
, और V सही हैं।
3.
, ।।। और V सही हैं।
4.
।।, ।।। और V सही  हैं।

25.
नीचे दिए गए दो कथनों में से एक को अभिकथन (A) और दूसरे को तर्क (R) की संज्ञा दी गई है। नीचे दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए:

अभिकथन (A) : प्रस्थानत्रयी 'मोक्ष' की प्राप्ति का मार्ग दिखाती है।

तर्क (R) : उपनिषद्‌, ब्रह्मसूत्र और भगवदगीता वेदांत दर्शन के ज्ञान के तीन प्रामाणिक मुख्य श्रोत हैं।

1. (A)
और (R) दोनों सही हैं तथा (R), (A) की सही व्याख्या है।

2. (A)
और (R) दोनों सही हैं, लेकिन (R), (A) की सही व्याख्या नहीं है।

3. (A)
सही है, लेकिन (R) गलत है।

4. (A)
गलत है, लेकिन (R) सही है।

 Answer- 1- (3), 2- (3), 3- (3), 4- (2), 5- (4), 6- (2), 7- (3), 8- (2), 9- (2), 10- (3), 11- (2), 12- (1), 13- (4), 14- (1), 15- (2), 16- (1), 17- (3), 18- (3), 19- (1), 20- (4), 21- (1), 22- (1), 23- (4), 24- (1), 25- (1)

 

                       Download PDF File


 

Set-2

नोट:- इस प्रश्नपत्र में (25) बहुसंकल्पीय प्रश्न है। प्रत्येक प्रश्न के दो (2) अंक है। सभी प्रश्न अनिवार्य

1. नीचे दिए गए दो कथनों में से एक को अभिकथन (A) और दूसरे को तर्क (R) की संज्ञा दी गई है। नीचे दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए:

अभिकथन (A) : पश्चिमोतानासन गृध्रसी में निषिद्ध हैं।
तर्क (R) : पश्चिमोत्तानासन आगे की ओर झुकने वाले आसनों का एक प्रकार है। गृध्रसी में आगे झुकने वाले
सभी प्रकार के आसन निषिद्ध होने चाहिए।
उपरोक्त दो कथनों के संदर्भ में निम्मलिखित में से कौनसा सही है?
1. (A)
और (R) दोनों सही हैं तथा (R), (A) की सही व्याख्या है।
2. (A)
और (R) दोनों सही है, लेकिन (R), (A) की सही व्याख्या नहीं है।
3. (A)
सही है, लेकिन (R) गलत है।
4. (A)
गलत है, लेकिन (R) सही है।

2.
नीचे दिए गए दो कथनों में से एक अभिकथन (A) और दूसरे को तर्क (R) की संज्ञा दी गई है। नीचे दिए एक विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए:

अभिकथन (A) : शवासन और ध्यान का अभ्यास व्यक्ति की स्मरण-शक्ति में सुधार लाते हैं।
तर्क (R) : स्मरण शक्ति सूचना के संकेतन, संचय और पुनःप्राप्ति की प्रक्रिया है। योग के विश्रामदायक अभ्यास स्मरण शक्ति बढ़ाने के लिए मस्तिष्क के इन प्रकार्यों में सुधार लाते हैं।
उपरोक्त दो कथनों के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन सा सही है?
1. (A)
और (R) दोनों सही हैं तथा (R), (A) की सही व्याख्या है।
2. (A)
और (R) दोनों सही हैं, लेकिन (R), (A) की सही व्याख्या नहीं है।
3. (A)
सही है, लेकिन (R) गलत हैं
4. (A)
गलत है, लेकिन (R) सही है।

3. वेदों के निम्नलिखित उप-खण्डों को उस क्रम में व्यवस्थित कीजिए, जिसमें वे दृष्टिगोचर हुए थे। उत्तर देने के लिए नीचे दिए गए कूट का प्रयोग करें;

i. उपनिषद्‌                  ii. आरण्यक
iii.
ब्राह्मण                iv. संहिता
कूटः
1. i, ii, iii, iv            2. ii, iv, iii, i
3.  iii, i, ii, iv           4. iv, iii, ii, i

4. भगवदगीता के अनुसार निम्नलिखित तत्त्वों को क्रम में व्यवस्थित करें:

i.
क्रोध                  ii. इन्द्रिय विषयों में लिप्तता
iii.
आसक्ति        iv. काम
 
सही उत्तर देने के लिए निम्नलिखित कूटों का उपयोग करें
कूटः .
1. i, iii, iv, ii           2. iii, ii, i, iv
3. ii, iii, iv, i           4. iv, ii, iii, i

5.
निम्नलिखित तत्त्वों को उनके उद्भव के अनुसार क्रम में व्यवस्थित कीजिए:
i.
पृथ्वी                   ii. वायु  
iii.
आकाश             iv. जल  
v.
अग्नि
सही उत्तर देने के लिए निम्नलिखित कूटों का उपयोग करें-
कूटः
1. ii, iv, i, iii, v      2. iii, ii,  v, iv, i
3. iv, iii, v, ii, i      4.v, iii, i, iv, ii  

6.
शरीर में स्थित निम्नलिखित पंचकोशो को उचित क्रम में व्यवस्थित करें। उत्तर देने के लिए नीचे दिए गए कूट का प्रयोग करें:
i.
मनोमय कोश            ii. प्राणमय कोश
iii.
आनंदमय कोश       iv. अन्नमय कोश
v.
विज्ञानमय कोश
कूटः
1.ii, iv, i, iii, v             2. ii, iv, iii, i, v
3, iv, ii, i, iii, v            4.iv, ii, i, v, iii

7.
सूची-1 को सूची - 2 के साथ सुमेलित करें और नीचे दिए गए कूट का प्रयोग करते हुए सही विकल्प चुने:
  
सूची-1                     सूची-2
i .
शरीर                   A. सारथी
ii .
आत्मा                 B. लगाम
iii.
मन                    C. अश्व
iv.
इन्द्रियाँ               D. रथ 

 कूट-

       i    ii    iii    iv
1.    A   C    B    D
2.    D   B    C    A
3.    D   A    B    C
4.    B   D    C    A

 8. सूची-1 को सूची-2 के साथ सुमेलित करें और नीचे दिए गए कूट का प्रयोग करते हुए सही विकल्प चुने:
   
सूची-1                     सूची- 2
i.
क्लेश                A. अनवस्थितत्व
ii.
चित्तवृत्ति        B.अंगमेजयत्व                       
iii.
सहभुव             C. विकल्प    
 iv.
अन्तराय          D. अस्मिता                      
कूटः

        i    ii    iii    iv
1.    C   D    B    A
2.    D   C    A    B
3.    D   C    B    A
4.    C   D    A    B

9.
सूची-1 को सूची-2 के साथ सुमेलित करें और नीचे दिए गए कूट का प्रयोग करते हुए सही विकल्प चुने:
      
सूची-1                      सूची-2
i.
चपटी अस्थियाँ        A.बाँहे और टाँगें
ii.
लंबी अस्थियाँ         B.कलाइयाँ
iii.
छोटी अस्थियाँ       C.उरोस्थि और अंसफलक
iv.
टेढ़ी-मेढ़ी अस्थियाँ  D.कशरुकाएँ
कूटः 

        i    ii    iii    iv
1.    D   A    B    C
2.    C   A    B    D
3.    C   A    D    B
4.    A   B    C    D

10.  “आर्य अष्टांगिक मार्गकिसकी देन हैं?
1.
कपिल  2. बुद्ध 3. पतंजलि 4. वशिष्ठ

11.
निम्नलिखित में से किसको मुख्य दस उपनिषदों में सम्मिलित नहीं किया गया हैं?
1.
केनोपनिषद्‌             2. मुण्डकोपनिषद्
3.
श्वेताश्वतरोपनिषद्‌. 4. बृहदारण्यकोपनिषद्

12.  निम्नलिखित में से कौन ' क्षेत्र' और क्षेत्रज्ञ को इंगित करता है?
1.
प्रकृति एवं पुरुष
2.
आत्मा एवं ईश्वर
3.
माया एवं ब्रह्म
4.
जगतू एवं जीव .

13.
केनोपनिषद्के अनुसार यक्ष कौन हैं?
1.
इन्द्र  2. ब्रह्म  3. अग्नि  4. वायु .

14. '
उदगीथ' क्या है?
1.
प्राण 2. चंद्रमा 3. सूर्य  4. प्रणव

15.
भगवदगीता के अनुसार निम्नलिखित में से कौन शांति की स्थिति को प्राप्त नहीं करता है?
1.
इच्छाविहीन व्यक्ति
2.
अहंकारविहीन व्यक्ति
3:
कर्मयोगी
4.
विद्वान्

16.
अध्यात्म प्रसाद किसका परिणाम है ?
1.
विवेक ख्याति             2. निर्विचार समापत्ति
3.
असम्प्रज्ञातस समाधि 4. धर्ममेघ समाधि

17.
सांख्यशास्त्र के अनुसार प्रकृति तत्व के घटक हैं:?
1.
वात, कफ और पित्त
2.
सत्व, रजस्और तमस्
3.
मनस्बुद्धि और अहंकार
4.
वाक्‌, पाणि और पायु 

18. सिद्ध सिद्धान्त पद्धति में योग के कितने अंग बताए गए हैं?
1. 07     2. 08      3. 04       4. 03

19.
कुण्डलिनी के स्वरूपत: कितने प्रकार सिद्ध सिद्धान्त पद्धति में वर्णित हैं?
1. 04     2. 03      3. 02       4. 06

20.
शिव संहिता के अनुसार सफलता के तत्त्वों में निम्नलिखित में से किसको सम्मिलित नहीं किया जाता है?
1.
दृढ़ विश्वास    2. इन्द्रियों पर नियंत्रण
3.
यज्ञ                4. मिताहार

21.'
सिद्ध सिद्धांत पद्धति' मेंपिण्ड-विचार ' के अंतर्गत कितने आधारों का वर्णन किया गया है?
1. 05      2. 09      3. 16       4. 07

22.
हठ रत्नावली में कितनी शोधन क्रियाएँ वर्णित की गई हैं?
1. 07      2. 08      3. 06       4. 04

23.
निम्नलिखित में से कौन सा हार्मोन शरीर में 'फाइट और-फ्लाइट रेसपोन्समें एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है?
1.
एड्रिनेलिन 2. नॉरएड्रेनेलिन 3. वृद्धि हार्मोन 4. ग्लूकैगॉन

24. “
सरकेडियन रिदम्स' के अध्ययन को कहा जाता है:
1.
एन्डोक्रिनॉलॉजी      2. क्रॉनोबायोलॉजी
3.
माइक्रोबायोलॉजी    4. सेल बायोलॉजी

25. सूची- 1 को सूची- 2 के साथ सुमेलित करें और नीचे दिए गए कूट का प्रयोग करते हुए सही विकल्प चुने:
     
सूची- 1                          सूची- 2.
i.
स्त्यान                   A. समाधि भूमि को प्राप्त करने में असमर्थता
ii.
अविर्गत                B.  इच्छा होना
iii.
अलब्धभूमिकत्व  C. प्राप्त स्थिति में चित्त को लगाए रखना
iv.
अनवस्थितत्व      D. विषयो में तृप्ति बनाए रखना

 कूटः
        i    ii    iii    iv
1.    B   C    A    D
2.    B   D    A    C
3.    C   B    D    A
4.    D   C    A    B


Answer- 1- (1), 2- (1), 3- (4), 4- (3), 5- (2), 6- (4), 7- (3), 8- (3), 9- (2), 10- (2), 11- (3), 12- (1), 13- (2), 14- (4), 15- (4), 16- (2), 17- (2), 18- (2), 19- (3), 20- (3), 21- (3), 22- (2), 23- (1), 24- (2), 25- (2)

 

 Download PDF File


Set-3

नोट:- इस प्रश्नपत्र में (25) बहुसंकल्पीय प्रश्न है। प्रत्येक प्रश्न के दो (2) अंक है। सभी प्रश्न अनिवार्य

1. अनुसंधान-साक्ष्यों के अनुसार दुश्चिन्ता (एनजाइटी) के प्रबन्धन के लिए किन योगाभ्यासों की सलाह दी जाती हैं?
i.
भ्रामरी प्राणायाम
ii.
भुजंगासन
iii.
शवासन
iv.
पशि्चमोत्तानासन

कूट के अनुसार सही संयोजन है:
कूटः
1. iii और iv सही हैं।         2. iv और i सही हैं।
3. i, ii और iii सही हैं।       4. i, ii और iv सही हैं।

2. एक व्यक्ति में तामसिक व्यक्तित्व के क्या-क्या अभिलक्षण होते हैं?
i विरक्ति
ii. प्रवृत्ति
iii. लोभ
iv. अप्रकाश
सही उत्तर देने के लिए नीचे दिए गए कूट का प्रयोग करें;
कूटः
1. i और ii सही हैं।      2. ii और iii सही हैं।
3. ii और iv सही हैं।     4. iii और iv सही हैं।

3. निम्नलिखित में से कौन से व्यक्तित्व के विकासात्मक सिद्धांतों के प्रकार हैं?
i. प्रारूप सिद्धांत
ii. अधिगम सिद्धांत
iii. मनोविश्लेषणात्मक सिद्धांत
iv. खण्ड विश्लेषण सिद्धांत
उत्तर देने के लिए नीचे दिए गए कूट का प्रयोग करें; 

कूटः
1. i और ii सही हैं।    2. ii और iii सही हैं।
3. iii और iv सही हैं।   4. iv और i सही हैं।

4. हठप्रदीषिका के अनुसार मूलबन्ध की कौन सी विधि प्रयोग योग्य हैं?
i. उदर का संकुचन
ii. गुदा को एड़ी से दबाना
iii. योनि का संकुचन
iv. वक्ष का संकुचन

कूट के अनुसार सही संयोजन है:

कूटः
1. i तथा ii सही हैं।     2. ii तथा iii सही हैं।
3. iii तथा iv सही हैं।   4. iv तथा i सही हैं।

5. हठप्रदीषिका के अनुसार निम्नलिखित रोगों में वस्त्रधौति लाभकारी है:
i. वातज विकार
ii. कफज विकार
iii. चर्म विकार
iv. नेत्र रोग 

कूट के अनुसार सही संयोजन है:

कूटः
1. i तथा ii सही हैं।      2. ii तथा iii सही हैं।
3. iii तथा iv सही हैं।    4. i तथा iv सही हैं। 

6. ज्ञान योग के साधन हैं;
i. कीर्तन
ii. श्रवण
iii. मनन
iv. निदिध्यासन
कूट के अनुसार सही संयोजन है:
कूटः
1. i, ii और iii सही हैं।
2. ii, iii और iv सही हैं।
3. iii, iv और i सही हैं।
4. iv, i और ii सही हैं।

7. नीचे दिए गए दो कथनों में से एक को अभिकथन (A) और दूसरे को तर्क (R) की संज्ञा दी गई है। नीचे दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए:
अभिकथन: (A) आसन के अभ्यास का मूल उद्देश्य द्वन्द्धो पर काबू पाना है।
तर्कः (R) आसनों के अभ्यास केवल बीमारी की रोकथाम और स्वस्थ (फिट) रहने के लिए किए जाते हैं।
उपरोक्त दो कथनों के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन सा सही हैं
1. (A) और (R) दोनों सही हैं तथा (R), (A) की सही व्याख्या है।
2. (A) और (R) दोनों सही हैं, लेकिन (R), (A) की सही व्याख्या नहीं हैं।
3. (A) सही हैं, लेकिन (R) गलत हैं।
4. (A) गलत हैं, लेकिन (R) सही हैं।  

8. नीचे दिए गए दो कथनों में से एक को अभिकथन (A) और दूसरे को तर्क (R) की संज्ञा दी गई है। नीचे दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए: 

अभिकथन (A) : शरीर में कम यात्रा में विटामिनों की आवश्यकता होती है और ये संतुलित आहार के महत्व पूर्ण घटक होते हैं।
तर्क (R) : विटामिन ऊर्जा की आपूर्ति नहीं करते, लेकिन चयापचन क्रियाओं के नियमन में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और प्रोटीन्स, वसाओं और कार्बोहाइड्रेट्स की उपयोग प्रक्रियाओं में सहायता करते हैं।
उपरोक्त दो कथनों के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन सा सही है?
1. (A) और (R) दोनों सही हैं तथा (R), (A) की सही व्याख्या हैं।
2. (A) और (२) दोनों सही हैं, लेकिन (R), (A) की सही व्याख्या नहीं हैं।
3. (A) सही हैं, लेकिन (R) गलत हैं।
4. (A) गलत है, लेकिन (R) सही है।

9. नीचे दिए गए दो कथनों में से एक को अभिकथन (A) और दूसरे को तर्क (R) की संज्ञा दी गई है। नीचे दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए:
अभिकथन (A) : योग का मूल उद्देश्य आत्मानुभूति और परम मोक्ष है।
तर्क (R) : योग के आठ अंगों का निरंतर अभ्यास हमारे शरीर और मन पर नियंत्रण में सहायता नहीं करता, जिससे कि परम मोक्ष का अंतिम लक्ष्य प्राप्त किया जा सके। 

उपरोक्त दो कथनों के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौनसा सही है?
1. (A) और (R) दोनों सही हैं, तथा (R), (A) की सही व्याख्या है।
2. (A) और (R) दोनों सही हैं, लेकिन (R), (A) की सही व्याख्या नहीं है।
3. (A) सही हैं, लेकिन (R) गलत है।
4. (A) गलत है, लेकिन (R) सही हैं।

10. नीचे दिए गए दो कथनों में से एक को अभिकथन (A) और दूसरे को तर्क (R) की संज्ञा दी गई है। नीचे दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए:
अभिकथन (A) : जानु सन्धिगत्‌आस्टियोआर्थराइटिस से पीड़ित रोगी के लिए मण्डूकासन निषिद्ध है।
तर्क (R) : घुटनों को अधिक मोड़ने वाले आसन जानु सन्धि के लिए कठिन तथा कष्टदायक हो सकते हैं। और जानु की समस्याओं को बढ़ा सकते हैं।
उपरोक्त दो कथनों के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन सा सही हैं?

1. (A) और (R) दोनों सही हैं तथा (R), (A) की सही व्याख्या हैं।
2. (A) और (R) दोनों सही हैं, लेकिन (R), (A) को सही व्याख्या नहीं है।
3. (A) सही है, लेकिन (R) गलत हैं।
4. (A) गलत है, लेकिन (R) सही है।

11. नीचे दिए गए दो कथनों में से एक को अभिकथन (A) और दूसरे को तर्क (R) की संज्ञा दी गई है। नीचे दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए:
अभिकथन (A) : मत्स्येन्द्रासन डायबिटीज के नियंत्रण के लिए सर्वश्रेष्ठ योगाभ्यास है।
तर्क (R) : मत्स्येन्द्रासन के अभ्यास से उदर संपीडित होता है तथा मेरुदण्ड 'ट्विस्ट' होता है जिससे अग्न्याशय की क्रियात्मकता बढ़ती है और मधुमेह को नियंत्रण करने में सहायता पहुँचाता है।

उपरोक्त दो कथनों के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन सा सही है?
1. (A) और (R) दोनों सही है तथा (R), (A) की सही व्याख्या है।
2. (A) और (R) दोनों सही हैं, लेकिन (R), (A) की सही व्याख्या नहीं है।
3. (A) सही हैं, लेकिन (R) गलत है।
4. (A) गलत है, लेकिन (R) सही है

12. नीचे दिए गए दो कथनों में से एक को अभिकथन (A) और दूसरे को तर्क (R) की संज्ञा दी गई है। नीचे दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए:
अभिकथन;: (A) : मानवीय मूल्य एक पहिए की धुरी के सदृश हैं और दूसरे प्रकारों के मूल्य इसके चारों ओर होते हैं।
तर्क (R) : मानवीय मूल्य सत्यशीलता, रचनात्मकता, त्याग, निश्छलता, आत्म-नियंत्रण, परोपकार और वैज्ञानिक दृष्टि हैं।
उपरोक्त दो कथमनों के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन सा सही है?
1. (A) और (R) दोनों सही हैं तथा (R), (A) की सही व्याख्या है।
2. (A) और (R) दोनों सही हैं तथा (R), (A) की सही व्याख्या नहीं है।
3. (A) सही है, लेकिन (R) गलत है।
4. (A) गलत है, लेकिन (R) सही है। 

13. नीचे दिए गए दो कथनों में से एक को अभिकथन (A) और दूसरे को तर्क (R) की सुंज्ञा दी गई है। नीचे दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए:
अभिकथन (A) : प्राणायाम के अभ्यास के द्वारा मन धारणा की क्षमता प्राप्त कर सकता है।
तर्क (R) : प्राणायाम श्वसन के स्वैच्छिक नियमन और नियंत्रण की एक तकनीक है, जो धारणा के अभ्यास के लिए मन को समर्थ बनाती है।
उपरोक्त दो कथमनों के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन सा सही है?
1. (A) और (R) दोनों सही हैं तथा (R), (A) का सही व्याख्या है।
2. (A) और (R) दोनों सही हैं, लेकिन (R), (A) की सही व्याख्या नही हैं।
3. (A) सही है, लेकिन (R) गलत है।
4. (A) गलत है, लेकिन (R) सही है।

14. नीचे दिए गए दो कथनों में से एक को अभिकथन (A) और दूसरे को तर्क (R) की संज्ञा दी गई है। नीचे दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए:
अभिकथन (A) : ध्यान का अभ्यास तनाव (स्टेस) से राहत प्रदान करता है।
तर्क (R) : विभिन्‍न शोधकर्ताओं ने साबित किया है कि ध्यान का अभ्यास स्टेस हार्मोन्स (कॉर्टिसोल) के स्त्राव को बढ़ाता है, मन को आराम पहुँचाता है और इस प्रकार तनाव से राहत प्रदान करता है।

उपरोक्त दो कथनों के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन सा सही है?
1. (A) और (R) दोनों सही हैं तथा (R), (A) की सही व्याख्या है।
2. (A) और (R) दोनों सही हैं, लेकिन (R), (A) की सही व्याख्या नहीं है।
3. (A) सही है, लेकिन (R) गलत है।
4. (A) गलत है, लेकिन (R) सही है।

15. बौद्ध ध्यान तकनीक के अनुसार सावधानी की चार आधारशिलाएं हैं;
a. धम्मानुपास्सना
b. वेदनानुपास्सना
c. चित्तानुपास्सना
d. कायानुपास्सना

उपरोक्त को अवरोही क्रम में व्यवस्थित करें:
1. (a), (b), (c) और (d)
2. (b), (c), (d) और (a)
3. (c), (d), (a) और (b)
4. (d), (b), (c) और (a)

16. स्वात्माराम जी द्वारा बताए गए निम्नलिखित हठयोग अभ्यासों को उस क्रम में व्यवस्थित करें, जिसमें वे दृष्टिगोचर हुए थे। उत्तर देने के लिए नीचे दिए गए कूट का प्रयोग करें:
i. कुम्भक
ii. मुद्रा
iii. आसन
iv. नादानुसंधान
कूट
1. i, ii, iv, iii        2. iii, i, ii, iv
3. iv, i, ii, iii        4. ii, i, iv, iii

17. वैराग्य के निम्नलिखित चरणों को उचित क्रम में व्यवस्थित करें। उत्तर देने के लिए नीचे दिए गए कूट का प्रयोग करें:
i. व्यतिरेक
ii. यतमान
iii. वशीकार
iv. एकेन्द्रिय
 कूटः
1. i, iii, ii, iv       2. i, ii, iii, iv
3. ii, i, iv, iii        4. i, ii, iv, iii

18. निम्नलिखित अंतख्रावी ग्रन्थियों को मानव शरीर में उनकी ऊपर से नीचे की ओर की उपस्थिति के अनुसार व्यवस्थित करें। उत्तर देने के लिए नीचे दिए गए कूट का प्रयोग करें:
i. थाइरॉइड ग्रन्थि
ii. गोनड्स (जनन ग्रन्थियाँ)
iii. एड्रिनल ग्रंथि (अधिवृक्क ग्रन्थि)
iv. पिट्युटरी ग्रन्थि
कूटः  
1. i, ii, iii, iv    2. iv, iii, ii, i
3. ii, iii, i, iv    4. iv, i, iii, ii

19. निम्नलिखित आहार द्रव्यों में उपस्थित वियमिन-सी की प्रतिशत मात्रा के अनुसार उन्हें घटते क्रम में व्यवस्थित करें। सही उत्तर देने के लिए नीचे दिए गए कूट का प्रयोग करें:
i. अमरूद
ii. संतरा
iii. टमाटर
iv. आँवला
कूटः
1. i, ii, iv, iii       2. i, ii, iii, iv
3. iv, i, ii, iii      4. ii, i, iv, iii

20. हठप्रदीपिका के अनुसार निम्नलिखित क्रियाओं को क्रम में व्यवस्थित करें:
i. धौति
ii. बस्ति
iii. नेति
iv. नौलि
v. त्राटक
vi. कपालभाति
कूटः
1. i, iii, iv, ii, vi, v      
2. iii, iv, ii, i, v, vi  
3. i, ii, iii, v, iv, vi
4. i, ii, iii, iv, v, vi

21. सूची-1 को सूची-2 के साथ सुमेलित करें? नीचे दिए गए कूट का प्रयोग करते हुए सही उत्तर चुने:
 सूची-1                     सूची-2
   (दर्शन)                  (प्रवर्तक)
i. वैशेषिक                 (A) गौतम
ii. न्याय                  (B) कणाद
ii. मीमांसा                (C) कपिल
iv. सांख्य                 (D) जैमिनी
कूटः
   (i)  (ii) (iii) (iv)
1. (A) (B) (C) (D)
2. (B) (A) (D) (C)
3. (C) (D) (A) (B)
4. (D) (A) (B) (C) 

22. निम्नलिखित में से कौन सा युग्म सही ढंग से सुमेलित नहीं है?
1. हठ प्रदीपिका - स्वात्माराम सूरी
2. लाइट ऑन योग - बी.के.एस. अयंगार
3. भजगोविन्दम्‌- वेदव्यास
4. राजमार्तण्ड - भोज

23. सूची- 1 को सूची- 2 के साथ सुमेलित करें और नीचे दिए गए कूट का प्रयोग करते हुए सही विकल्प चुने:
   सूची-1                 सूची-2
i. जल महाभूत           (A) शब्द
ii. वायु महाभूत           (B) रूप
iii. आकाश महाभूत        (C) स्पर्श
iv. अग्नि महाभूत         (D) रस
कूटः
   (i) (ii) (iii) (iv)
1. (B) (C) (D) (A)
2. (A) (D) (C) (B)
3. (D) (C) (A) (B)
4. (C) (A) (B) (D)
   
24. सूची-1 को सूची-2 के साथ सुमेलित करें और नीचे दिए गए कूट का प्रयोग करते हुए सही विकल्प चुने:
   सूची-1                 सूची-2
i. अग्नि                  (A) चक्षु
ii. वायु                   (B) वाक
iii. आदित्य               (C) मन
iv. चन्द्र                  (D) प्राण
कूटः
   (i) (ii) (iii) (iv)
1. (A) (C) (B) (D)
2. (B) (D) (A) (C)
3. (C) (A) (B) (D)
4. (D) (C) (A) (B)

25. सूची-1 को सूची-2 के साथ सुमेलित करें और नीचे दिए गए कूट का प्रयोग करते हुए सही विकल्प चुनें; 

 सूची-1               सूची-2
 (चक्र)                (अग्नि)
i. स्वाधिष्ठान        (A) मनोजवा
ii. मणिपुर          (B) विश्वरुचि
iii. अनाहत          (C). कराली
iv .सहस्रार          (D). सुलोहिता

कूटः
   (i) (ii) (iii) (iv)
1. (A) (D) (B) (C)
2. (C) (B) (D) (A)
3. (C) (A) (D) (B)
4. (D) (B) (C) (A)   

 

Answer- 1- (3), 2- (4), 3- (2), 4- (2), 5- (2), 6- (2), 7- (3), 8- (1), 9- (3), 10- (1), 11- (1), 12- (1), 13- (1), 14- (3), 15- (4), 16- (2), 17- (3), 18- (4), 19- (3), 20- (3), 21- (2), 22- (3), 23- (3), 24- (2), 25- (3)


Download PDF File

Comments

Popular posts from this blog

आसन का अर्थ एवं परिभाषायें, आसनो के उद्देश्य

आसन का अर्थ आसन शब्द के अनेक अर्थ है जैसे  बैठने का ढंग, शरीर के अंगों की एक विशेष स्थिति, ठहर जाना, शत्रु के विरुद्ध किसी स्थान पर डटे रहना, हाथी के शरीर का अगला भाग, घोड़े का कन्धा, आसन अर्थात जिसके ऊपर बैठा जाता है। संस्कृत व्याकरंण के अनुसार आसन शब्द अस धातु से बना है जिसके दो अर्थ होते है। 1. बैठने का स्थान : जैसे दरी, मृग छाल, कालीन, चादर  2. शारीरिक स्थिति : अर्थात शरीर के अंगों की स्थिति  आसन की परिभाषा हम जिस स्थिति में रहते है वह आसन उसी नाम से जाना जाता है। जैसे मुर्गे की स्थिति को कुक्कुटासन, मयूर की स्थिति को मयूरासन। आसनों को विभिन्न ग्रन्थों में अलग अलग तरीके से परिभाषित किया है। महर्षि पतंजलि के अनुसार आसन की परिभाषा-   महर्षि पतंजलि ने योगसूत्र के साधन पाद में आसन को परिभाषित करते हुए कहा है। 'स्थिरसुखमासनम्' योगसूत्र 2/46  अर्थात स्थिरता पूर्वक रहकर जिसमें सुख की अनुभूति हो वह आसन है। उक्त परिभाषा का अगर विवेचन करे तो हम कह सकते है शरीर को बिना हिलाए, डुलाए अथवा चित्त में किसी प्रकार का उद्वेग हुए बिना चिरकाल तक निश्चल होकर एक ही स्थिति में सुखपूर्वक बैठने को

चित्त | चित्तभूमि | चित्तवृत्ति

 चित्त  चित्त शब्द की व्युत्पत्ति 'चिति संज्ञाने' धातु से हुई है। ज्ञान की अनुभूति के साधन को चित्त कहा जाता है। जीवात्मा को सुख दुःख के भोग हेतु यह शरीर प्राप्त हुआ है। मनुष्य द्वारा जो भी अच्छा या बुरा कर्म किया जाता है, या सुख दुःख का भोग किया जाता है, वह इस शरीर के माध्यम से ही सम्भव है। कहा भी गया  है 'शरीरमाद्यं खलु धर्मसाधनम्' अर्थात प्रत्येक कार्य को करने का साधन यह शरीर ही है। इस शरीर में कर्म करने के लिये दो प्रकार के साधन हैं, जिन्हें बाह्यकरण व अन्तःकरण के नाम से जाना जाता है। बाह्यकरण के अन्तर्गत हमारी 5 ज्ञानेन्द्रियां एवं 5 कर्मेन्द्रियां आती हैं। जिनका व्यापार बाहर की ओर अर्थात संसार की ओर होता है। बाह्य विषयों के साथ इन्द्रियों के सम्पर्क से अन्तर स्थित आत्मा को जिन साधनों से ज्ञान - अज्ञान या सुख - दुःख की अनुभूति होती है, उन साधनों को अन्तःकरण के नाम से जाना जाता है। यही अन्तःकरण चित्त के अर्थ में लिया जाता है। योग दर्शन में मन, बुद्धि, अहंकार इन तीनों के सम्मिलित रूप को चित्त के नाम से प्रदर्शित किया गया है। परन्तु वेदान्त दर्शन अन्तःकरण चतुष्टय की

Yoga MCQ Questions Answers in Hindi

 Yoga multiple choice questions in Hindi for UGC NET JRF Yoga, QCI Yoga, YCB Exam नोट :- इस प्रश्नपत्र में (25) बहुसंकल्पीय प्रश्न है। प्रत्येक प्रश्न के दो (2) अंक है। सभी प्रश्न अनिवार्य ।   1. किस उपनिषद्‌ में ओंकार के चार चरणों का उल्लेख किया गया है? (1) प्रश्नोपनिषद्‌         (2) मुण्डकोपनिषद्‌ (3) माण्डूक्योपनिषद्‌  (4) कठोपनिषद्‌ 2 योग वासिष्ठ में निम्नलिखित में से किस पर बल दिया गया है? (1) ज्ञान योग  (2) मंत्र योग  (3) राजयोग  (4) भक्ति योग 3. पुरुष और प्रकृति निम्नलिखित में से किस दर्शन की दो मुख्य अवधारणाएं हैं ? (1) वेदांत           (2) सांख्य (3) पूर्व मीमांसा (4) वैशेषिक 4. निम्नांकित में से कौन-सी नाड़ी दस मुख्य नाडियों में शामिल नहीं है? (1) अलम्बुषा  (2) कुहू  (3) कूर्म  (4) शंखिनी 5. योगवासिष्ठानुसार निम्नलिखित में से क्या ज्ञानभूमिका के अन्तर्गत नहीं आता है? (1) शुभेच्छा (2) विचारणा (3) सद्भावना (4) तनुमानसा 6. प्रश्नोपनिषद्‌ के अनुसार, मनुष्य को विभिन्न लोकों में ले जाने का कार्य कौन करता है? (1) प्राण वायु (2) उदान वायु (3) व्यान वायु (4) समान वायु

सिद्ध-सिद्धांत-पद्धति सामान्य परिचय

प्रथम उपदेश- पिण्ड उत्पति विचार सिद्ध-सिद्धांत-पद्धति अध्याय - 2 (पिण्ड विचार) सिद्ध-सिद्धांत-पद्धति के अनुसार नौ चक्रो के नाम 1. ब्रहमचक्र - मूलाधार मे स्थित है, कामनाओं की पूर्ति होती हैं। 2. स्वाधिष्ठान चक्र - इससे हम चीजो को आकर्षित कर सकते है। 3. नाभी चक्र - सिद्धि की प्राप्ति होती है। 4. अनाहत चक्र - हृदय में स्थित होता है। 5. कण्ठचक्र - विशुद्धि-संकल्प पूर्ति, आवाज मधुर होती है। 6. तालुचक्र -  घटिका में, जिह्वा के मूल भाग में,  लय सिद्धि प्राप्त होती है। 7. भ्रुचक्र -     आज्ञा चक्र - वाणी की सिद्धि प्राप्त होती है। 8. निर्वाणचक्र - ब्रहमरन्ध्र, सहस्त्रार चक्र, मोक्ष प्राप्ति 9. आकाश चक्र - सहस्त्रारचक्र के ऊपर,  भय- द्वेष की समाप्ति होती है। सिद्ध-सिद्धांत-पद्धति के अनुसार सोहल आधार (1) पादांगुष्ठ (2) मूलाधार (3) गुदाद्वार (4) मेद् आधार (5) उड्डियान आधार (6) नाभी आधार (7) हृदयाधार (8) कण्ठाधार (9) घटिकाधार (10) तालु आधार (11) जिह्वा आधार सिद्ध-सिद्धांत-पद्धति के अनुसार तीन लक्ष्य (Aim) 1. अन्तर लक्ष्य (Internal) - मेद्‌ - लिंग से उपर  एवं नाभी से नीचे के हिस्से पर अन्दर ध्य

चित्त विक्षेप | योगान्तराय

चित्त विक्षेपों को ही योगान्तराय ' कहते है जो चित्त को विक्षिप्त करके उसकी एकाग्रता को नष्ट कर देते हैं उन्हें योगान्तराय अथवा योग के विध्न कहा जाता।  'योगस्य अन्तः मध्ये आयान्ति ते अन्तरायाः'।  ये योग के मध्य में आते हैं इसलिये इन्हें योगान्तराय कहा जाता है। विघ्नों से व्यथित होकर योग साधक साधना को बीच में ही छोड़कर चल देते हैं। विध्न आयें ही नहीं अथवा यदि आ जायें तो उनको सहने की शक्ति चित्त में आ जाये, ऐसी दया ईश्वर ही कर सकता है। यह तो सम्भव नहीं कि विध्न न आयें। “श्रेयांसि बहुविध्नानि' शुभकार्यों में विध्न आया ही करते हैं। उनसे टकराने का साहस योगसाधक में होना चाहिए। ईश्वर की अनुकम्पा से यह सम्भव होता है।  व्याधिस्त्यानसंशयप्रमादालस्याविरतिभ्रान्तिदर्शनालब्धभूमिकत्वानवस्थितत्वानि चित्तविक्षेपास्तेऽन्तरायाः (योगसूत्र - 1/30) योगसूत्र के अनुसार चित्त विक्षेपों  या अन्तरायों की संख्या नौ हैं- व्याधि, स्त्यान, संशय, प्रमाद, आलस्य, अविरति, भ्रान्तिदर्शन, अलब्धभूमिकत्व और अनवस्थितत्व। उक्त नौ अन्तराय ही चित्त को विक्षिप्त करते हैं। अतः ये योगविरोधी हैं इन्हें योग के मल भी

हठयोग का अर्थ , परिभाषा, उद्देश्य

  हठयोग का अर्थ भारतीय चिन्तन में योग मोक्ष प्राप्ति का एक महत्वपूर्ण साधन रहा है, योग की विविध परम्पराओं (ज्ञानयोग, कर्मयोग, भक्तियोग, हठयोग) इत्यादि का अन्तिम लक्ष्य भी मोक्ष (समाधि) की प्राप्ति ही है। हठयोग के साधनों के माध्यम से वर्तमान में व्यक्ति स्वास्थ्य लाभ तो करता ही है पर इसके आध्यात्मिक लाभ भी निश्चित रूप से व्यक्ति को मिलते है।  हठयोग- नाम से यह प्रतीत होता है कि यह क्रिया हठ- पूर्वक की जाने वाली है। परन्तु ऐसा नही है अगर हठयोग की क्रिया एक उचित मार्गदर्शन में की जाये तो साधक सहजतापूर्वक इसे कर सकता है। इसके विपरित अगर व्यक्ति बिना मार्गदर्शन के करता है तो इस साधना के विपरित परिणाम भी दिखते है। वास्तव में यह सच है कि हठयोग की क्रियाये कठिन कही जा सकती है जिसके लिए निरन्तरता और दृठता आवश्यक है प्रारम्भ में साधक हठयोग की क्रिया के अभ्यास को देखकर जल्दी करने को तैयार नहीं होता इसलिए एक सहनशील, परिश्रमी और तपस्वी व्यक्ति ही इस साधना को कर सकता है।  संस्कृत शब्दार्थ कौस्तुभ में हठयोग शब्द को दो अक्षरों में विभाजित किया है।  1. ह -अर्थात हकार  2. ठ -अर्थात ठकार हकार - का अर्थ

प्राणायाम का अर्थ एवं परिभाषायें, प्राणायामों का वर्गीकरण

प्राणायाम का अर्थ- (Meaning of pranayama) प्राणायाम शब्द, प्राण तथा आयाम दो शब्दों के जोडने से बनता है। प्राण जीवनी शक्ति है और आयाम उसका ठहराव या पड़ाव है। हमारे श्वास प्रश्वास की अनैच्छिक क्रिया निरन्तर अनवरत से चल रही है। इस अनैच्छिक क्रिया को अपने वश में करके ऐच्छिक बना लेने पर श्वास का पूरक करके कुम्भक करना और फिर इच्छानुसार रेचक करना प्राणायाम कहलाता है। प्राणायाम शब्द दो शब्दों से बना है प्राण + आयाम। प्राण वायु का शुद्ध व सात्विक अंश है। अगर प्राण शब्द का विवेचन करे तो प्राण शब्द (प्र+अन+अच) का अर्थ गति, कम्पन, गमन, प्रकृष्टता आदि के रूप में ग्रहण किया जाता है।  छान्न्दोग्योपनिषद कहता है- 'प्राणो वा इदं सर्व भूतं॑ यदिदं किंच।' (3/15/4) प्राण वह तत्व है जिसके होने पर ही सबकी सत्ता है  'प्राणे सर्व प्रतिष्ठितम। (प्रश्नेपनिषद 2/6) तथा प्राण के वश में ही सम्पूर्ण जगत है  “प्राणस्वेदं वशे सर्वम।? (प्रश्नोे. -2/13)  अथर्वद में कहा गया है- प्राणाय नमो यस्य सर्वमिदं वशे।  यो भूतः सर्वेश्वरो यस्मिन् सर्वप्रतिष्ठितम्।॥ (अथर्ववेद 11-4-1) अर्थात उस प्राण को नमस्कार है, जिसके

योग आसनों का वर्गीकरण एवं योग आसनों के सिद्धान्त

योग आसनों का वर्गीकरण (Classification of Yogaasanas) आसनों की प्रकृति को ध्यान में रखते हुए इन्हें तीन भागों में विभक्त किया जा सकता है (1) ध्यानात्मक आसन- ये वें आसन है जिनमें बैठकर पूजा पाठ, ध्यान आदि आध्यात्मिक क्रियायें की जाती है। इन आसनों में पद्मासन, सिद्धासन, स्वस्तिकासन, सुखासन, वज्रासन आदि प्रमुख है। (2) व्यायामात्मक आसन- ये वे आसन हैं जिनके अभ्यास से शरीर का व्यायाम तथा संवर्धन होता है। इसीलिए इनको शरीर संवर्धनात्मक आसन भी कहा जाता है। शारीरिक स्वास्थ्य के संरक्षण तथा रोगों की चिकित्सा में भी इन आसनों का महत्व है। इन आसनों में सूर्य नमस्कार, ताडासन,  हस्तोत्तानासन, त्रिकोणासन, कटिचक्रासन आदि प्रमुख है। (3) विश्रामात्मक आसन- शारीरिक व मानसिक थकान को दूर करने के लिए जिन आसनों का अभ्यास किया जाता है, उन्हें विश्रामात्मक आसन कहा जाता है। इन आसनों के अन्तर्गत शवासन, मकरासन, शशांकासन, बालासन आदि प्रमुख है। इनके अभ्यास से शारीरिक थकान दूर होकर साधक को नवीन स्फूर्ति प्राप्त होती है। व्यायामात्मक आसनों के द्वारा थकान उत्पन्न होने पर विश्रामात्मक आसनों का अभ्यास थकान को दूर करके ताजगी

हठयोग प्रदीपिका में वर्णित प्राणायाम

हठयोग प्रदीपिका में प्राणायाम को कुम्भक कहा है, स्वामी स्वात्माराम जी ने प्राणायामों का वर्णन करते हुए कहा है - सूर्यभेदनमुज्जायी सीत्कारी शीतल्री तथा।  भस्त्रिका भ्रामरी मूर्च्छा प्लाविनीत्यष्टकुंम्भका:।। (हठयोगप्रदीपिका- 2/44) अर्थात् - सूर्यभेदन, उज्जायी, सीत्कारी, शीतली, भस्त्रिका, भ्रामरी, मूर्छा और प्लाविनी में आठ प्रकार के कुम्भक (प्राणायाम) है। इनका वर्णन ऩिम्न प्रकार है 1. सूर्यभेदी प्राणायाम - हठयोग प्रदीपिका में सूर्यभेदन या सूर्यभेदी प्राणायाम का वर्णन इस प्रकार किया गया है - आसने सुखदे योगी बदध्वा चैवासनं ततः।  दक्षनाड्या समाकृष्य बहिस्थं पवन शनै:।।  आकेशादानखाग्राच्च निरोधावधि क्रुंभयेत। ततः शनैः सव्य नाड्या रेचयेत् पवन शनै:।। (ह.प्र. 2/48/49) अर्थात- पवित्र और समतल स्थान में उपयुक्त आसन बिछाकर उसके ऊपर पद्मासन, स्वस्तिकासन आदि किसी आसन में सुखपूर्वक मेरुदण्ड, गर्दन और सिर को सीधा रखते हुए बैठेै। फिर दाहिने नासारन्ध्र अर्थात पिंगला नाडी से शनैः शनैः पूरक करें। आभ्यन्तर कुम्भक करें। कुम्भक के समय मूलबन्ध व जालन्धरबन्ध लगा कर रखें।  यथा शक्ति कुम्भक के पश्चात जालन्धरबन्ध ख

कठोपनिषद

कठोपनिषद (Kathopanishad) - यह उपनिषद कृष्ण यजुर्वेद की कठ शाखा के अन्तर्गत आता है। इसमें दो अध्याय हैं जिनमें 3-3 वल्लियाँ हैं। पद्यात्मक भाषा शैली में है। मुख्य विषय- योग की परिभाषा, नचिकेता - यम के बीच संवाद, आत्मा की प्रकृति, आत्मा का बोध, कठोपनिषद में योग की परिभाषा :- प्राण, मन व इन्दियों का एक हो जाना, एकाग्रावस्था को प्राप्त कर लेना, बाह्य विषयों से विमुख होकर इन्द्रियों का मन में और मन का आत्मा मे लग जाना, प्राण का निश्चल हो जाना योग है। इन्द्रियों की स्थिर धारणा अवस्था ही योग है। इन्द्रियों की चंचलता को समाप्त कर उन्हें स्थिर करना ही योग है। कठोपनिषद में कहा गया है। “स्थिराम इन्द्रिय धारणाम्‌” .  नचिकेता-यम के बीच संवाद (कहानी) - नचिकेता पुत्र वाजश्रवा एक बार वाजश्रवा किसी को गाय दान दे रहे थे, वो गाय बिना दूध वाली थी, तब नचिकेता ( वाजश्रवा के पुत्र ) ने टोका कि दान में तो अपनी प्रिय वस्तु देते हैं आप ये बिना दूध देने वाली गाय क्यो दान में दे रहे है। वाद विवाद में नचिकेता ने कहा आप मुझे किसे दान में देगे, तब पिता वाजश्रवा को गुस्सा आया और उसने नचिकेता को कहा कि तुम मेरे