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MCQs on Teaching Aptitude with Answers (Set-6)

  1. शिक्षण में "आधिकारिक मॉडल" (Authoritarian Model) का मुख्य तत्व क्या है? A) लोकतांत्रिक वातावरण B) शिक्षक का कठोर अनुशासन C) छात्रों की भागीदारी D) रचनात्मक स्वतंत्रता ANSWER= (B) शिक्षक का कठोर अनुशासन Check Answer   2. शिक्षण में "विषयवस्तु-केन्द्रित दृष्टिकोण" (Content-Centred Approach) का मुख्य उद्देश्य क्या है? A) पाठ्यक्रम को पूरा करना B) छात्रों के कौशल का विकास C) परीक्षा परिणाम सुधारना D) छात्रों की संज्ञानात्मक क्षमता विकसित करना ANSWER= (A) पाठ्यक्रम को पूरा करना Check Answer   3. शिक्षण में "मैनेजेरियल रोल" का तात्पर्य क्या है? A) छात्रों का मार्गदर्शन B) कक्षा का प्रबंधन C) पाठ्यक्रम का निर्धारण D) मूल्यांकन करना ANSWER= (B) कक्षा का प्रबंधन Check Answer   4. शिक्षण में "बाधा रहित अधिगम" (Unhindered Learning) का अर्थ क्या है? A) बिना नियम के पढ़ाई B) नियमित मूल्यांकन के बिना पढ़ाई ...

Teaching Aptitude MCQs in Hindi with Answers (Set-5)

  1. शिक्षण का प्रमुख उद्देश्य क्या है? A) छात्रों को अनुशासन में रखना B) छात्रों को परीक्षा में उत्तीर्ण कराना C) छात्रों में सतत अधिगम की प्रवृत्ति विकसित करना D) छात्रों में प्रतिस्पर्धा की भावना बढ़ाना ANSWER= (C) छात्रों में सतत अधिगम की प्रवृत्ति विकसित करना Check Answer   2. "ब्लूम टैक्सोनॉमी" के अनुसार संज्ञानात्मक क्षेत्र (Cognitive Domain) का उच्चतम स्तर कौन-सा है? A) स्मरण (Remembering) B) अनुप्रयोग (Applying) C) मूल्यांकन (Evaluating) D) सृजन (Creating) ANSWER= (D) सृजन (Creating) Check Answer   3. शिक्षण अधिगम प्रक्रिया में "फीडबैक" का मुख्य उद्देश्य क्या होता है? A) शिक्षण को सुधारना B) छात्रों का मूल्यांकन करना C) परीक्षा का आयोजन करना D) छात्रों को अनुशासन में रखना ANSWER= (A) शिक्षण को सुधारना Check Answer   4. शिक्षण में "नियमित सुदृढ़ीकरण" (Regular Reinforcement) का उद्देश्य क्या है? A) अनुशासन ...

केनोपनिषद् (Kenopanishad) का परिचय

केनोपनिषद् वेदों के सामवेद शाखा से संबंधित है और यह तलवकार ब्राह्मण के अंतर्गत आता है। इस उपनिषद् का नाम " केन " शब्द पर आधारित है , जिसका अर्थ है " किसके द्वारा " । यह उपनिषद् मुख्य रूप से उस मूल सत्ता की खोज करता है , जो संपूर्ण ब्रह्मांड को नियंत्रित और क्रियाशील बनाती है। इसका प्रमुख विषय ब्रह्म और आत्मा का पारस्परिक संबंध है। केनोपनिषद् कुल चार खंडों में विभाजित है : प्रथम खंड - इसमें यह प्रश्न उठाया गया है कि किसके द्वारा इंद्रियाँ , मन और प्राण संचालित होते हैं। उत्तर में बताया गया है कि वह परमात्मा ही इन सबका कारण है। द्वितीय खंड - इस खंड में ब्रह्म की अपरिभाषेयता और अनुभव की महत्ता पर बल दिया गया है। यह स्पष्ट किया गया है कि ब्रह्म किसी भी इंद्रिय या मन द्वारा अनुभव नहीं किया जा सकता , बल्कि यह आत्मसाक्षात्कार से ही जाना जा सकता है। तृतीय खंड - इसमें एक कथा द्वारा ब्रह्म के सर्वोच्च स्थान को प्रमाणित किया गय...