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UGC NET YOGA MCQ

  UGC NET YOGA Previous year MCQ NTA UGC NET YOGA- These Junior Research Fellowship & Assistant Professor Eligibility exam held on November 2020. Download UGC NET YOGA Solved MCQ in English. 26. According to Hatha ratnavali, control of chittavriti is called: A. Yoga                B. Mahayoga C. Shuddha yoga D. Vishuddha yoga 27. According to Vashishtha Samhita, which yogic practice can free from a sin like foeticide? A. Pranayama B. Pratyahara C. Dhyana      D. Samadhi 28. According to Shiva Samhita, what is another name of Ida Nadi? A. Varana       B. Chitra C. Sushumna D. Brahma 29. According to Shiva Samhita, the Maya, full of Rajoguna is known as: A. Durga    B. Saraswathi C. Lakshmi D. Kali 30. Uninterrupted and interrupted methods are associated with: A. Perception B. Attention C. Sensation D. Learning 31....

UGC NET YOGA Previous year Solved Paper Download

  UGC NET YOGA MCQ in English NTA UGC NET YOGA - These Junior Research Fellowship & Assistant Professor Eligibility exam held on November 2020. Download UGC NET YOGA Solved MCQ in English. 1. What is the aim of Yoga? A. Realization of God B. To achieve kaivalya C. To achieve super powers D. To achieve good health 2. How many ‘Parvas’ are there in Mahabharatha? A. 24     B.12 C. 18     D. 9 3. The Jnana of Hetuman revealed through Hetu is called: A. Praman  B. Prameya C. Anuman D. Agam 4. What is the unique mean to overcome three kinds of afflictions according to Sankhya? A. Jnana vijnana B. Vyakta jnana C. Auyakta jnana D. Vyakta-avyakta-jna vijnana 5. According to Shrimad Bhagavadgita the term ‘Sham’ stands for: A. Control over Antahkaran B. Control over Sense organs C. Control over desires D. Control over objects 6. According to Mandukya upanishad, ‘Prajna is related to which state of Consciousness? A. Turiya B. Sw...

Yoga MCQ for UGC NET, QCI, Yoga Protocol Instructor exam

1. "स्थिर सुखम आसनम" यह परिभाषा किसके द्वारा दी गई है: A. महर्षि वेदव्यास B. महर्षि पतंजलि C. महर्षि घेरंड D. महर्षि कपिल 2. योगसूत्र के अनुसार समाधि के मुख्य प्रकार हैं: A 2 B 4 C 6 D 3 3. 'पतंजलि योग सूत्र' में यम के कितने भागों का वर्णन किया गया है? A 5 B  6 C  8 D 10 4. 'योगस्य चित्त वृत्ति निरोधः' योग की यह परिभाषा किसने दी? A. महर्षि व्यास B. महर्षि पतंजलि C. महर्षि कपिल D. महर्षि घेरंड 5. आसनों के अभ्यास से दूर होता है ? A. रजस गुण B. तमस गुण: C. सत्व गुण D. A और B दोनों 6. 'कपालभाति' में 'भाति' शब्द का क्या अर्थ है? A.  चमकना  B.  सिर C. लाइट       D. A और B दोनों 7. वृत्ति जो शून्य वस्तु ज्ञान को दर्शाती है | किस नाम से जाना जाता है: A. प्रमाण वृत्ति B. स्मृति वृत्ति C. विपर्य वृत्ति D. विकल्प वृत्ति 8. दुःखों और कष्टों का कारण बनने वाली वृत्ति कहलाती है: A. अकालिष्ट वृत्ति B. कलिष्ट वृत्ति C. प्रमाण वृत्ति       D. A और B दोनों 9. निम्नलिखित में से कौन एक वृत्ति नही है? A. निंद्रा वृत्ति B. स्...

Yoga Multiple Choice Questions Answers in Hindi for All yoga Exam

Yoga MCQ with Answers in Hindi   1. "पतंजलि रहस्य" पाठ के लेखक कौन हैं? A. स्वामी शिवानंद B. स्वामी विवेकानंद C. आचार्य शंकर D. राघवानंद सरस्वती  2. 'संयम' का वर्णन 'पतंजलि योग सूत्र' के किस अध्याय में किया गया है? A. साधनापाद B. समाधिपाद C. विभूतिपाद D. कैवल्यपाद   3. निम्नलिखित में से कौन एक प्रमाण वृत्ति है? A. प्रत्यक्ष B. अनुमन C. आगम D. उपरोक्त सभी 4. किस अवस्था में व्यक्ति सुस्ती, अवसाद और नींद से प्रभावित होता है? A. विक्षिप्तवस्था B. निंद्रावस्था C. क्षिप्तावस्था  D. मूढावस्था 5. महर्षि पतंजलि के अनुसार पांचवीं चित्तवृत्ति कौन सी है? A. विकल्प B. निंद्रा C. स्मृति D. विपर्य 6. कौन सी वृत्ति झूठी धारणा दर्शाती है? A. प्रमाणवृत्ति B. निंद्रावृत्ति C. विकल्पवृत्ति D. विपर्यवृत्ति 7. योग-अंतराय क्या है? A. सफलता के तत्व B. विफलता के तत्व C. योग की ऊपरी अवस्था D. योग की निम्न अवस्था 8. 'पतंजलि योग सूत्र' के अनुसार कुल कितनी चित्तवृत्तियाँ हैं? A- 4, B- 5, C- 6, D-  7 9. महर्षि पतंजलि को किस अन्य नाम से भी जाना जाता है? A. अहिपति B. शेष अवतार C. नाग...

सिद्ध-सिद्धांत-पद्धति सामान्य परिचय

प्रथम उपदेश- पिण्ड उत्पति विचार सिद्ध-सिद्धांत-पद्धति अध्याय - 2 (पिण्ड विचार) सिद्ध-सिद्धांत-पद्धति के अनुसार नौ चक्रो के नाम 1. ब्रहमचक्र - मूलाधार मे स्थित है, कामनाओं की पूर्ति होती हैं। 2. स्वाधिष्ठान चक्र - इससे हम चीजो को आकर्षित कर सकते है। 3. नाभी चक्र - सिद्धि की प्राप्ति होती है। 4. अनाहत चक्र - हृदय में स्थित होता है। 5. कण्ठचक्र - विशुद्धि-संकल्प पूर्ति, आवाज मधुर होती है। 6. तालुचक्र -  घटिका में, जिह्वा के मूल भाग में,  लय सिद्धि प्राप्त होती है। 7. भ्रुचक्र -     आज्ञा चक्र - वाणी की सिद्धि प्राप्त होती है। 8. निर्वाणचक्र - ब्रहमरन्ध्र, सहस्त्रार चक्र, मोक्ष प्राप्ति 9. आकाश चक्र - सहस्त्रारचक्र के ऊपर,  भय- द्वेष की समाप्ति होती है। सिद्ध-सिद्धांत-पद्धति के अनुसार सोहल आधार (1) पादांगुष्ठ (2) मूलाधार (3) गुदाद्वार (4) मेद् आधार (5) उड्डियान आधार (6) नाभी आधार (7) हृदयाधार (8) कण्ठाधार (9) घटिकाधार (10) तालु आधार (11) जिह्वा आधार सिद्ध-सिद्धांत-पद्धति के अनुसार तीन लक्ष्य (Aim) 1. अन्तर लक्ष्य (Internal) - मेद्‌ - लिंग से उपर  एवं न...

सिद्ध सिद्धांत पद्धति - प्रथम अध्याय

  सिद्ध सिद्धांत पद्धति सिद्ध- अर्थात- योगी, महान पुरुष सिद्धांत-  अर्थात् - निश्चित मत   पद्धति- अर्थात् - मार्ग अर्थात्‌ सिद्ध योगियों के निश्चित मार्ग पर चलना  सिद्ध सिद्धांत पद्धति के लेखक गुरू गौरक्षनाथ जी है। सिद्ध सिद्धांत पद्धति में छः अध्याय या उपदेश है। 1. पिण्ड उत्पति विचार  2, पिण्ड विचार  3. पिण्ड ज्ञान  4. पिण्ड धारा  5. समरसता  6. अवधूत की विशेषता  1. प्रथम अध्याय- पिण्ड उत्पति विचार- परब्रहमा की पांच आदिम शक्तियों की चर्चा की हैं (i) निजा या अनामा शक्ति -  नाम रहित, सत्य, सनातन जो नित्य है।   (ii) पराशक्ति - सृष्टि की इच्छा।   (iii) अपरा शक्ति - स्पंद के उत्पन्न होने से।   (iv) सूक्ष्म शक्ति - अंहकार भाव से निर्मित शक्ति  (v) कुण्डलिनी शक्ति- मोक्ष प्रदान करने वाली जीवन मरण के बन्धन से मुक्ति देने वाली। निजा या अनामा शक्ति के पाँच गुण (i) नित्यता - जो नित्य है सदा से चली आ रही है।  (ii) निरंजना - राग, द्वेष, क्रोध, मोह से छुटना अभाव ही निरंजन है।  (iii) निस्पंदना ...

घेरण्ड संहिता में वर्णित "प्राणायाम" -- विधि, लाभ एवं सावधानियाँ

घेरण्ड संहिता के अनुसार प्राणायाम घेरण्डसंहिता में महर्षि घेरण्ड ने आठ प्राणायाम (कुम्भको) का वर्णन किया है । प्राण के नियन्त्रण से मन नियन्त्रित होता है। अत: प्रायायाम की आवश्यकता बताई गई है। हठयोग प्रदीपिका की भांति प्राणायामों की संख्या घेरण्डसंहिता में भी आठ बताई गईं है किन्तु दोनो में थोडा अन्तर है। घेरण्डसंहिता मे कहा गया है- सहित: सूर्यभेदश्च उज्जायी शीतली तथा। भस्त्रिका भ्रामरी मूर्च्छा केवली चाष्टकुम्भका।। (घे.सं0 5 / 46) 1. सहित, 2. सूर्य भेदन, 3. उज्जायी, 4. शीतली, 5. भस्त्रिका, 6. भ्रामरी, 7. मूर्च्छा तथा 8. केवली ये आठ कुम्भक (प्राणायाम) कहे गए हैं। प्राणायामों के अभ्यास से शरीर में हल्कापन आता है। 1. सहित प्राणायाम - सहित प्राणायाम दो प्रकार के होते है (i) संगर्भ और (ii) निगर्भ । सगर्भ प्राणायाम में बीज मन्त्र का प्रयोग किया जाता हैँ। और निगर्भ प्राणायाम का अभ्यास बीज मन्त्र रहित होता है। (i) सगर्भ प्राणायाम- इसके अभ्यास के लिये पहले ब्रह्मा पर ध्यान लगाना है, उन पर सजगता को केन्द्रित करते समय उन्हें लाल रंग में देखना है तथा यह कल्पना करनी है कि वे लाल है और रजस गुणों से...